नई दिल्ली :
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा जाएगा. राष्ट्रपति की ओर से जारी बयान में उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है. समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को काफी समय से भारत रत्न देने की मांग की जा रही थी. बिहार में जननायक के रूप में उभरे कर्पूरी ठाकुर का जन्म 1924 में हुआ था. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने को लेकर पीएम मोदी ने खुशी जताते हुए कहा कि इससे देश के लोगों को गर्व होगा. पीएम मोदी ने कहा कि न्यायसंगत समाज बनाने के उनके (कर्पूरी ठाकुर) मिशन को जारी रखने के लिए ये हमें प्रेरित करता है.
पीएम मोदी ने कहा, ”मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है.”
उन्होंने आगे कहा, ”पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है. यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा.”
कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे. वो राज्य में दो बार मुख्यमंत्री और एक बार उप मुख्यमंत्री रहे. 1952 में हुए पहली विधानसभा के चुनाव में जीतकर कर्पूरी ठाकुर पहली बार विधायक बने और आजीवन विधानसभा के सदस्य रहे. 1967 में जब पहली बार देश के नौ राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारों का गठन हुआ तो बिहार की महामाया प्रसाद सरकार में वे शिक्षा मंत्री और उपमुख्यमंत्री बने. कर्पूरी ठाकुर का संसदीय जीवन सत्ता से ओत-प्रोत कम ही रहा. उन्होंने अधिकांश समय तक विपक्ष की राजनीति की. बावजूद उनकी जड़ें जनता-जनार्दन के बीच गहरी थीं.
उन्होंने 1977 में पहली बार मुख्यमंत्री का पद संभाला था.