बोले- पार्टी छोड़ने पर परिवार से संबंध खत्म नहीं हो जाता
कपिल सिब्बल ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए इस्तीफा दे दिया. बुधवार को उन्होंने समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल कांग्रेस हाईकमान खासकर राहुल गांधी पर सवाल उठा चुके हैं, ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें शायद ही राज्यसभा भेजे। नामांकन से पहले सिब्बल सपा दफ्तर गए थे और वे अखिलेश के साथ ही राज्यसभा पहुंचे।
नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने कहा कि वे 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। सिब्बल अभी UP से कांग्रेस कोटे से सांसद हैं, लेकिन इस बार UP में पार्टी के पास इतने ही विधायक नहीं हैं, जो उन्हें फिर से राज्यसभा भेज सकें। लिहाजा, सिब्बल के फ्यूचर को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, अब समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन दाखिल कर उन्होंने तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया।
दिलचस्प बात है कि जब कांग्रेस में सिब्बल के टिकट पर सस्पेंस बरकरार था, उस वक्त 3 बड़ी विपक्षी पार्टियां उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजने को तैयार थीं। उत्तर प्रदेश से सपा, बिहार से राजद और झारखंड से झामुमो सिब्बल को राज्यसभा भेजने का मूड बना चुकी थीं। हालांकि, सिब्बल ने अखिलेश के साथ जाने का मन बनाया।
सिब्बल पिछले दिनों कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी शामिल नहीं हुए। उन्होंने मार्च में एक इंटरव्यू के दौरान गांधी परिवार पर जमकर हमला बोला था।.
. सपा: सिब्बल को आगे कर आजम को साधने की कोशिश
हाल ही में सपा के कद्दावर नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत दिलाने में कपिल सिब्बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जेल से निकलने के बाद आजम ने सिब्बल के शान में कई कसीदे भी पढ़े। खास बात ये कि जेल से निकलने के बाद आजम सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से अब तक नहीं मिले हैं।
सपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेज अखिलेश ने एक तीर से दो निशाना साधने की कवायद की है। इससे एक तो दिल्ली में उन्हें कपिल सिब्बल के तौर पर एक मजबूत चेहरा मिल जाएगा और दूसरा आजम खान को भी साध सकेंगे।
राजद: कानूनी पचड़ों में फंसे लालू परिवार के लिए सिब्बल जरूरी
चारा घोटाला में लालू यादव का केस लड़ रहे कपिल सिब्बल को राजद बिहार से राज्यसभा भेजने का मूड बना रही थी। राजद को बिहार में इस बार राज्यसभा की 2 सीटें मिलनी तय हैं। ऐसे में एक सीट पर पार्टी सिब्बल को उच्च सदन में भेजना चाहती थी। इसकी बड़ी वजह लालू परिवार का कानूनी पचड़ों में फंसना बताया जा रहा है।
सिब्बल अभी चारा घोटाला से जुड़े केस में लालू के वकील हैं। इसके अलावा, लालू के ठिकानों पर पिछले दिनों ही CBI की रेड पड़ी है। तेजस्वी यादव और मीसा भारती पर भी एक मामले में केस दर्ज है। ऐसे में राजद कपिल सिब्बल को साथ जोड़कर लीगल तौर पर मजबूत होने की तैयारी में थी। इससे पहले 2016 में लालू यादव वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को भी राज्यसभा भेज चुके हैं।
. झामुमो: खतरे में पड़ी CM कुर्सी बचाने में जुटे हेमंत
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले कुछ दिनों से मुश्किलों में घिरे हुए हैं। उन पर मंत्री रहते माइंस की लीज लेने का आरोप है। इस मामले में सदस्यता रद्द करने का केस चुनाव आयोग के पास विचाराधीन है। इसके साथ ही यह मामला कोर्ट में भी गया है। कोर्ट में सोरेन की तरफ से इस मामले की पैरवी कपिल सिब्बल ही कर रहे हैं।
माइनिंग लीज में नाम आने के बाद से ही झारखंड में सियासी सुगबुगाहट तेज है। हेमंत सोरेन से जुड़ा केस को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था।
माइनिंग लीज में नाम आने के बाद से ही झारखंड में सियासी सुगबुगाहट तेज है। हेमंत सोरेन से जुड़ा केस को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, झामुमो अपने कोटे से सिब्बल को राज्यसभा भेजने का मन बना चुकी थी। झारखंड में 2 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें सत्ताधारी दल को एक सीटें मिलना तय माना जा रहा है। वहीं एक सीट पर फाइट होने की संभावना है।
5 राज्यों में हार के बाद गांधी परिवार के खिलाफ खोला था मोर्चा
UP, पंजाब समेत 5 राज्यों की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। एक इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा कि घर की कांग्रेस नहीं अब सबकी कांग्रेस होगी। उन्होंने कहा- कांग्रेस में अध्यक्ष ना होते हुए भी फैसला राहुल गांधी ले रहे हैं, जबकि हार की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता। राहुल के रहते कांग्रेस कई चुनाव हार चुकी है, ऐसे में नए लोगों को नेतृत्व दिया जाना चाहिए।
10 सीटों के लिए कांग्रेस में उम्मीदवारों की लंबी लाइन
राज्यसभा चुनाव में इस बार 10 सीटों पर कांग्रेस को जीत की उम्मीद है। इनमें राजस्थान-छत्तीसगढ़ के 2-2, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की एक-एक सीटें शामिल हैं। हालांकि, इन 10 सीटों के लिए दावेदारों की लंबी लाइन है, इनमें पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, अविनाश पांडे, अंबिका सोनी, विवेक तन्खा, सुबोध कांत सहाय और रणदीप सुरजेवाला जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के सामने सिलेक्शन करना मुश्किल होगा।