रघुनाथपुर में कालीपूजा पंडाल का उदघाटन

मां काली का उत्पत्ति राक्षसों को वध करने के लिए हुई थी : सोमेन बेलथोरिया

चांडिल : नीमडीह प्रखंड मुख्यालय स्थित रघुनाथपुर में 44 साल प्राचीन लायंस क्लब के काली पूजा पंडाल का उदघाटन मुख्य अतिथि पुरुलिया जिला के तृणमुल कांग्रेस पार्टी के जिलाधक्ष सोमेन बेलथोरिया ने फीता काट कर किया। मौके पर सोमेन बेलथोरिया ने कहा कि काली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। मां काली सुंदरी रूप भगवती दुर्गा का काला और डरावना रूप हैं, जिसकी उत्पत्ति राक्षसों को मारने के लिये हुई थी। माता काली का पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओड़िशा व असम में पूजा जाता है। काली की व्युत्पत्ति काल अथवा समय वो माना जाता है जो सबको ग्रास कर लेता है।

मां काली की पूजा से मनुष्य का आंतरिक बुराई दूर होता है : हरेलाल महतो

विशिष्ट अतिथि आजसू के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो ने कहा कि दीपावली में भगवान गणेश जी व माता लक्ष्मी की पूजा के साथ बुराईयों को नष्ट करने के उद्देश्य से एक और देवी की पूजा की जाती है। वह पूरी तरह से क्रूर है, शाश्वत ऊर्जा से जुड़ी है, और सचमुच ब्रह्मांड का उद्धारक है। वह माता देवी काली हैं। कालिका के रूप में भी जानी जाने वाली, वह दस भयंकर तांत्रिक देवी दस महाविद्याओं में पहली हैं। उसका नाम काला से लिया गया है, जो भगवान शिव का नाम है, जिसका अर्थ है काल, समय और मृत्यु। यही कारण है कि उन्हें भगवान शिव की पत्नी भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि अब भारत में देवी पूजा के सबसे शक्तिशाली रूपों में से मां काली एक प्रमुख बन गया है। विशेष रूप से मां काली का पूजा पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा और असम में श्रद्धा भक्ति के साथ किया जाता है। मां काली का भयानक रूप के बावजूद, उपासक उसके साथ एक बहुत ही प्यार और अंतरंग बंधन साझा करते हैं, जैसे कि एक माँ और उनके बच्चे का। मां काली को सर्वोच्च शक्ति की अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है। देवी काली की पूजा मंदिरऔर पंडालों में की जाती है। हरेलाल ने कहा कि आश्विन या कार्तिक अमावस्या की रात को मनाया जाने वाला एक पूजा अनुष्ठान है, जिसे काली का सबसे बड़ा रूप माना जाता है। इस अवसर पर ग्रामप्रधान महासंघ के झारखंड प्रदेश उपाध्यक्ष वैद्यनाथ महतो, निताई महतो, भगीरथ महतो, तपन कुमार महतो, सुबोध महतो, ग्राम प्रधान श्यामल महतो, रमापति महतो व रघुनाथ महतो, मृत्युंजय दाँ, पद्मलोचन महतो, चुनाराम मंडल, राजु मिश्रा, शंकर महतो, गुरुपद महतो आदि उपस्थित थे।

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