नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनबाद में 28 जुलाई को एक ऑटो रिक्शा द्वारा एक न्यायाधीश को कथित रूप से कुचलने के मामले में सीबीआई जांच की प्रगति की साप्ताहिक निगरानी करेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी की सीलबंद रिपोर्ट में अधिक विवरण शामिल नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने सीबीआई से कहा कि वह हाईकोर्ट में हर हफ्ते अपनी रिपोर्ट दाखिल करे जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ इसकी निगरानी करेगी।
शीर्ष अदालत ने 30 जुलाई को इस ‘भयावह घटना’ में न्यायाधीश के “दुर्भाग्यपूर्ण” “दुखद निधन” का स्वत: संज्ञान लिया था और झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से जांच पर एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
सीसीटीवी फुटेज में दिखा है कि धनबाद अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश -8 उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह रणधीर वर्मा चौक पर काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ चहलकदमी कर रहे थे, तभी एक भारी ऑटो रिक्शा उनकी ओर मुड़ा, उन्हें पीछे से टक्कर मारी और मौके से भाग गया। स्थानीय लोग उन्हें सदर अस्पताल ले गए, जहां कुछ देर होश में रहने के बाद वे कोमा में चले गए और अंततः लगभग 5 घंटे बाद उनके प्राण उड़ गए। वे काफी देर तक लावारिस हालत में पड़े रहे। दो ढाई घंटे बाद उनकी पहचान हो सकी। फोरेंसिक जांच में उनके सिर पर भारी व वजनदार वस्तु से चोट के जख्म मिले जिससे रहस्य गहरा हो गया। एक ऑटो की टक्कर से इतनी चोट नहीं आ सकती। आशंका व्यक्त की जा रही है कि ऑटो ड्राइवर के बगल में बैठे व्यक्ति ने कहीं उनके सिर पर चोट तो नही की। वे टक्कर के बाद जहाँ सड़क किनारे गिरे वहां कोई वैसी वस्तु नहीं पाई गई। धनबाद में पूर्व विधायक संजीव सिंह और उनके चचेरे भाई स्वर्गीय नीरज सिंह के गुटों में व्याप्त हिंसक विवाद और इसमें मारे गए संजीव सिंह के सिपहसालार रंजय की हत्या का मामला दिवंगत जज उत्तम आनंद की अदालत में चल रहा था। रंजय की हत्या में सुई तत्कालीन डिप्टी मेयर स्व नीरज सिंह के गुट की ओर गयी और बाद में इसी के बदलास्वरूप नीरज सिंह की हत्या संजीव सिंह पर कराने का आरोप लगा जिसमे वह जेल में बंद है। धनबाद का यह परिवार स्व सूर्यदेव सिंह का है जिसमे राजघराने वाली राजनीति चलते चलते सार्वजनिक कलह और हिंसा सामने आ गयी। फिलहाल स्व नीरज सिंह गुट सत्ता के करीब है और उनके खिलाफ कोई मुंह खोलने की हिम्मत नहीं करता। CBI के लिए जज मौत की गुत्थी सुलझाना बड़ी चुनौती है।