13 वर्षों से चल रही थी जांच, 2005 में लड़े थे झंझारपुर से विधानसभा चुनाव
जमशेदपुर, 30 मार्च (रिपोर्टर): आखिरकार जिले के सिविल सर्जन डा. ए के लाल को बर्खास्त कर दिया गया. उन पर 2005 में झंझारपुर विधानसभा चुनाव लडऩे के मामले को लेकर 13 वर्षों से जांच चल रही थी. बुधवार को झारखंड कैबिनेट से सिविल सर्जन की बर्खास्तगी पर अपनी मुहर लगा दी.
बिहार विस चुनाव 2005 में बिहार की झंझारपुर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर बिना इस्तीफा दिए चुनाव लडऩे वाले पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन डा. अरविंद कुमार लाल बर्खास्त हो गए. उनकी बर्खास्तगी से संबंधित फाइल पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने हस्ताक्षर कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन को सेवा से बर्खास्त करने के लिए झारखंड लोक सेवा आयोग , जेपीएससी को भी पत्र भेज कर सूचित किया. इससे पहले15 मार्च को जेपीएससी के सचिव हिमांशु मोहन ने स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज को पत्र भेज कर डा. ए के लाल की बर्खास्तगी पर सहमति जतायी थी. अब कैबिनेट से सहमति मिलने के बाद सिविल सर्जन की सरकारी सेवा समाप्त हो गई. बताया जाता है कि 2021 में ही सरकार ने डा. ए के लाल को बर्खास्त करने का निर्णय लिया था, लेकिन फाइल स्वास्थ्य विभाग में ही घूमती रही. डा. ए के लाल ने जिस वक्त चुनाव लड़ा, उस समय वे बिहार के वैशाली जिले में पदस्थापित थे. बाद में डा उन्होंने झारखंड में योगदान दिया. उनके खिलाफ 2009 में पहली बार मामला उठा था. झारखंड सरकार ने उन पर लगे आरोप की जांच के लिए विभागीय कमेटी बनायी थी. कमेटी ने डा. ए के लाल के खिलाफ आरोप सही पाया था. स्वास्थ्य विभाग ने तीन बार उनसे स्पष्टीकरण मांगा था. वह हर बार टालमटोल कर बचते रहे. इस बार विधानसभा के बजट सत्र में विधायक सरयू राय ने डा. ए के लाल की बर्खास्तगी की फाइल दबाने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ ही विशेषाधिकार हनन का लिखित प्रस्ताव दे दिया. इसके बाद डा. ए के लाल की बर्खास्तगी की फाइल पर स्वास्थ्य मंत्री ने सहमति प्रदान कर दी.
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सिविल सर्जन को करना था तत्काल निलंबित: सरयू राय
विधायक सरयू राय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का इस मामले में दोहरा चरित्र रहा है. पहले तो वे बर्खास्तगी की संचिका अपने रखे हुए थे. अब डा. ए के लाल के बर्खास्त करने संबंधित फाइल पर साइन किया है. स्वास्थ्य मंत्री को सिविल सर्जन को तत्काल निलंबित भी कर सकते थे. सिविल सर्जन की बर्खास्तगी की सहमति जेपीएससी ने भी प्रदान कर दी है.