Sindri (Dhanbad),28 May : झारखंड के सभी 14 सांसदों के लिए एक चैलेंज!
क्या आपलोगों को पता है झारखंड में एक प्रमुख शहर और उद्योग नगरी में लगभग 70 हज़ार की आबादी के बीच न एक डॉक्टर है, न एक नर्सिंग होम और एक 205 शैय्या वाला पुराना अस्पताल भवन बेकार पड़ा हुआ है, जबकि प्रधान मंत्री यहां गैस आधारित हर्ल उर्वरक प्लांट को सपनों का प्रोजेक्ट बताते हुए शिलान्यास कर चुके हैं।
जो कंपनी इस उर्वरक प्लांट को लगा रही है वह इस कोविड काल में भी जन स्वास्थ्य को लेकर विगलित नहीं हुई।
यहां बात कोयले की राजधानी धनबाद के सिंदरी शहर की हो रही है जहां हर्ल यह कारखाना लगा रही है। उसके जिम्मे बंद फ़र्टिलाइज़र कारपोरेशन ऑफ इंडिया ( एफ सी आई) की परिसंपत्तियां सौंपी गयी हैं। विचित्र स्थिति है हर्ल सामुदायिक और जन स्वास्थ्य के लिए उसी एफ सी आई के बर्बाद हो रहे 205 शैय्या वाले अस्पताल भवन को चालू करने से कतरा रहा है, क्योंकि यह उसे आर्थिक रूप से संभाव्य ( economically not viable) दिख रहा है।
आज कोरोना ने जन स्वास्थ्य के समक्ष जो साधनों की कमियां उजागर की उसके बावजूद इस अस्पताल को चालू करने के उपायों से कन्नी काटना आश्चर्य जनक ही है। ऊपर से हालत यह है कि हर्ल के अपने वर्क फ़ोर्स के अलावे यहां मात्र सिंदरी परिक्षेत्र की आबादी 70 हज़ार निवास करती बतायी जाती है जहां आज एक प्राइवेट चिकित्सक भी मरीजों को देखने के लिए नहीं हैं ।लोगों को 30 किलोमीटर दूर इलाज के लिए धनबाद भागना पड़ता है। खुद इस क्षेत्र के भाजपा विधायक को गंभीर कोविड इफ़ेक्ट के इलाज के लिए हैदराबाद लेकर उड़ना पड़ा।आम लोगों को सर्दी- जुकाम- बुखार तक का इलाज मयस्सर नहीं।
फिलहाल धनबाद के सांसद पी एन सिंह के एक पत्र पर कुछ पहल हुई है । धनबाद के उपायुक्त उमा शंकर सिंह ने झारखंड के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिख कर पी पी पी मोड पर इसे चालू कराने का सुझाव और जरूरत लिख कर भेजा है। सांसद ने उपायुक्त को पत्र लिख कर सिंदरी में अनुपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं पर ध्यान खींचा तब उन्होंने एक पी एच सी सिंदरी के लिए अलॉट किया, लेकिन जैसा ज्ञात हुआ है वहां अभी तक कोई चिकित्सक नहीं तैनात हो पाया है।
झारखंड के जन प्रतिनिधियों के लिए , चाहे वे किसी दल से जुड़े हों, यह एक गंभीर विषय है जो आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है । यह हालत सिंदरी जैसे शहरी क्षेत्र का है। सिंदरी के पड़ोस में बलियापुर क्षेत्र हो या चासनाला से लेकर झरिया तक, पूरे इलाके में भाजपा, कांग्रेस और जे एम एम सबका अपना- अपना बोलबाला है। झरिया की विधायक कांग्रेस से आती हैं जिनके मतदाता सिंदरी की सीमा तक रहते हैं ।इसी तरह बलियापुर के विधायक भाजपा से आते है जिनका पूरा क्षेत्र ही सिंदरी कवर करता है। सांसद तो भाजपा के हैं ही। स्थानीय स्तर को अलग करके देखा जाए तो कल सिंदरी अखंड बिहार ही नहीं पूरे देश की शान थी। पुनः हर्ल के आने से यह राष्ट्रीय मानचित्र पर अपना प्रमुख स्थान बनाने जा रही है।प्रधानमंत्री ने गैस पाइप लाइन और प्लांट का शिलान्यास करते हुए इसे भाजपा( जन संघ) के एक संस्थापक और तत्कालीन संविद सरकार के अपने मंत्री का सिंदरी खाद कारखाना सपना बताया था आज वह सिंदरी एक अस्पताल के लिए तड़प रही है। झारखंड के लिए भी यह कम गौरव की बात नहीं होगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिंदरी के रग – रग से परिचित हैं।स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता स्वास्थ्य मोर्चे पर केंद्र से टक्कर लेते रहते हैं । अगर केंद्र सरकार और उसका हर्ल इसकी गंभीरता को नहीं समझता तो झारखंड के इन प्रतिनिधियों को उसे समझाने और उसे सिंदरी में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी समझने के लिए राजी करना चाहिए या उपायुक्त ने जो सुझाव भेजे हैं उसपर फौरी कार्रवाई करनी चाहिए।
1986 में जब एफ सी आई को बंद करने के लिए 1500 कर्मियो की छटनी का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया था तब प्रख्यात संपादक स्व ब्रह्मदेव सिन्हा शर्मा के प्रयास से तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व बिंदेश्वरी दुबे ने बिहार के सभी 44-45 सांसदों की परेड उस समय के प्रधानमंत्री स्व राजीव गांधी के समक्ष करा दी थी जिसके बाद कुछ समय के लिए छटनी टल गई थी जो बाद में अंततः कंपनी की बंदी के बाद भले ही हो गयी। आज वैसे बहुत छटनी ग्रस्त कर्मियों के परिवार भी इसी सिंदरी में रहते हैं। उस समय भी आंदोलन का बीड़ा एफ सी आई कर्मी- इंजीनियर एन सी रेड्डी, हर चरण सिंह,के एल घोष , डी एन सिंह ‘ बबलू’ आदि ने ही उठाया था। आज भी ये लोग सबके दरवाजे चक्कर लगा रहे हैं। सांसदों को एकजुट होकर प्रधान मंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाना चाहिए और लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि का सिद्धांत मजबूत करना चाहिए। लोगों को भरोसा है कोविड में भी आंख के आगे अस्पताल भवन की अनुपयोगिता और चिकित्सा की कमी किसी को भी नहीं देखी जाएगी जब यह मामला उनके संज्ञान में आएगा।