झारखंड के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने हेतु आसा ने की तैयारी बैठक
चांडिल : आदिवासी सेंगेल अभियान ने शनिवार को रघुनाथपुर वन विश्रामगृह में बैठक की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू व विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू उपस्थित थे। बैठक को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड और झारखंडीयों की पहचान भाषा संस्कृति से है। यहां पांच आदिवासी व चार मूलवासी भाषाऐं प्रचलित है जिसे पठन पाठन, सरकारी कार्य और रोजगार आदि में सरकार इसे मान्यता दें। उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड को अविलंब मान्यता देकर जनगणना 2021 में राज्य सरकार में शामिल करें। उन्होंने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड एक संवैधानिक व मानवीय अधिकार है। उन्होंने कहा कि दो मार्च को झारखंड के राज्यपाल को इस संबंध में सात सूत्री मांगपत्र सौंपा जायेगा। जिसमें आदिवासी मूलवासी को न्यायसंगत आरक्षण प्रदान करने, झारखंड सरकार द्वारा पूर्व घोषित 73 प्रतिशत आरक्षण को पुनर्बहाल करने, सीएनटी एसपीटी कानूनों को सख्ती से पालन करने, 1932 के खतियान आधारित झारखंडी स्थानीय नीति निर्धारण करने, सती प्रथा की तरह डायन प्रथा को समाप्त करने, झारखंडी का विस्थापन, पलायन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर रोक लगाने आदि शामिल हैं। इस अवसर पर आसा के सरायकेला खरसावां जिला संयोजक कालीपद टुडू, महाबीर टुडू, देबेन माझी, राजु माझी, देबनाथ हेम्ब्रम, दुबराज मार्डी, सुरेन हांसदा, अनिल हांसदा, कमल हेम्ब्रम, रामेश्वर हांसदा, सुनील मुर्मू, रवि मार्डी, कालीपद मुर्मू, गिनु माझी, आकलु मुर्मू आदि उपस्थित थे।
बैठक में भविष्य का रणनीति की गई तैयार
बैठक में आदिवासी सेंगेल अभियान ने भविष्य में आंदोलन की रणनीति बनाई। इसके तहत सरना धर्म कोड लागू करने के साथ अन्य मांगों के आंदोलन को अंतिम चरण तक पहुंचाने के लिए पांच मार्च को वीर शहीद सिधो कान्हू के गांव भोगनाडीह में राष्ट्रीय स्तर के शपथ समारोह का आयोजन किया जायेगा, इसके बाद दो महीने तक झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, ओड़िशा व बिहार में जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। 30 अप्रैल को रांची चलो, 30 जून को दिल्ली चलो कार्यक्रम किया जायेगा।