Chaku lia,15 feb./ झारखंड स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (/Jharkhand Education) द्वारा राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए विभिन्न योजनाओं पर खर्च करने के बावजूद मॉडल स्कूल की दुर्दशा में पिछले एक दशक में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ । राज्य में मॉडल स्कूल का निर्माण कार्य शुरू हुआ लेकिन ऐसे लगभग 80 स्कूलों का काम अधूरा पड़ा है. प्रत्येक मॉडल स्कूल की लागत करीब 3 करोड़ रुपये थी. इतनी बड़ी राशि के द्वारा निर्मित विद्यालय भवन का विगत 5 वर्ष में पूरा नहीं होना चर्चा का विषय है. शिक्षा विभाग लाख गुणवत्ता शिक्षा की बात कहकर अपनी पीठ थपथपा लें लेकिन ग्रामीण अंचलों में गरीब छात्रों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा उपलब्ध कराने वाले मॉडल स्कूलों की दुर्दशा बनी हुई है। शिक्षा विभाग में कई पदाधिकारी आए और गए लेकिन इन विद्यालयों की दुर्दशा में कोई सुधार नहीं हुआ.
अब राज्य में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत 80 विद्यालय खोले जाने की योजना पर काम हो रहा है. इसके तहत वर्ष 2021-22 सत्र में 27 स्कूलों को आदर्श विद्यालय में बदलने के लिए 120 करोड़ का बजट तैयार किया गया है. सवाल है कि राज्य में समय-समय पर मुख्य सचिव एवं झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा सरकारी विभागों में लंबित कोर्ट के आदेश को क्लियर करने से संबंधित पत्र भी जारी होता है. इसके बावजूद झारखंड मानव संसाधन विकास विभाग उदासीन बना रहता है. मॉडल स्कूल शिक्षकों के मानदेय भुगतान से संबंधित झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा अवमानना याचिका पर आदेश का अनुपालन नही होना इसका जीता जागता प्रमाण है. शिक्षा विभाग के पदाधिकारी शिक्षकों की समस्याओं और उनको माहौल देने पर उदासीन बनकर रस्मअदायगी ही करते हैं और मंत्री लोग योजनाओं के आवंटन और उससे जुड़ी अकथनीय कथाएं गढ़ते रहे हैं। झारखंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षा में विकास के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है. विगत 10 वर्ष पूर्व राज्य में केंद्रीय विद्यालय के तर्ज पर स्थापित अंग्रेजी माध्यम के 89 मॉडल विद्यालय इसका जीता जागता उदाहरण है. 10 वर्ष पूर्व यूपीए के हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में इन विद्यालयों की स्थापना हुई थी लेकिन आज तक यह स्कूल बदहाल है. इन विद्यालयों में कार्यरत संविदा शिक्षक के वेतन में कोर्ट के आदेश के बावजूद 1 रुपए की वृद्धि नहीं की. इतना ही नहीं यह विद्यालय आज भी उधार के भवनों में ही चल रहा है दूसरी ओर मॉडल स्कूल स्थापना के ठीक 10 वर्ष बाद राज्य में 4416 मॉडल स्कूल सह लीडर स्कूल खोलने की योजना पर सरकार नए सिरे से काम कर रही है.पुरानी योजनाओं का क्या हुआ उनका लेख जोखा और जिम्मेदारी तय करने की कारवाई की जाय तो नंगी सचाई सने आ जाए,। यह संयोग है कि इस समय भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार है. आखिर 10 वर्ष पूर्व स्थापित राजकीय मॉडल स्कूल में पढ़ रहे छात्रों एवं शिक्षकों का क्या गुनाह है जो सरकार इन विद्यालयों के विकास को लेकर गंभीर नहीं होती ।