Jamshedpur,18 July : विधायक सरयू राय ने शाह ब्रदर्स से संबंधित कोल्हान में लौह अयस्क की कथित घपलेबाजी वाले मामले में खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव पर गंभीर आरोप लगाए हैं । आज मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पत्र लिख श्री राय ने उन पर अवैध आचरण और अपने पद का दुरूपयोग कर लौह अयस्क का अवैध खनन, अवैध उठाव और अवैध व्यवसाय कराने का भी दोष मढ़ा है.विधायक ने यह पत्र आज अखबार को जारी किया।
मुकदमा संख्या wp(c) no. 2013/2020 में माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 21.05.2021 में सचिव, खान विभाग की कारवाई और इस संबंध में मुख्यमंत्री को 4 जून को प्रेषित पत्र का हवाला देते हुए विधायक ने 20 जुलाई को खान सचिव द्वारा बुलाई गई एक बैठक पर भी सवाल खड़े किए हैं। श्री राय ने विस्तार से बताया है कि उपर्युक्त मुक़दमा में 21 मई को पारित आदेश के अनुपालन हेतु विमर्श के लिये यह बैठक करने की बात कही गयी है, जबकि खान सचिव ने पत्रांक-1041, दिनांक 11.6.21 को ही वन , पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय के इस मुक़दमा की व्याख्या करते हुये कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 21.5.2021 को अपने फ़ैसला में झारखंड सरकार द्वारा शाह ब्रदर्स का खनन पट्टा रद्द करने वाले आदेश को खारिज कर दिया है. इस पत्र में खान सचिव ने आगे लिखा है कि झारखंड सरकार ने पत्रांक 1594, दिनांक 18.11.20 द्वारा नियमानुसार शाह ब्रदर्स को आदेश दिया है कि वह अपने खदान में पड़े लौह अयस्क के अवशेष भंडार का उठाव करे और बेंचे. इसलिये आप अपने विभाग के अधिकारियों को निर्देश देकर शाह ब्रदर्स द्वारा किये जाने वाले लौह अयस्क के उठाव को सुनिश्चित करायें. विधायक का दावा है कि खान सचिव का उपरोक्त आदेश (पत्रांक 1594, दिनांक 18.11.20) नियमानुकूल नहीं है, बल्कि घोर नियम विरूद्ध है. यह आदेश खनिज समनुदान नियमावली, 2016 के नियम 12(GG) और 12(HH) के विरूद्ध है क्योंकि उसके पूर्व 4.1.2019 को झारखंड सरकार ने शाह ब्रदर्स का खनन पट्टा रद्द कर दिया था. इस आदेश में खान सचिव ने शाह ब्रदर्स को 5.60 लाख टन लौह अयस्क का अवशेष भंडार बेचने का नियम विरूद्ध आदेश दे दिया, जबकि विधान सभा में पूछे गये मेरे अल्प सूचित प्रश्न संख्या -अ०प० 14, दिनांक- 22.9.2020 के उत्तर में खान सचिव को प्रेषित सामग्री में पश्चिम सिंहभूम के ज़िला खनन पदाधिकारी ने अपने पत्रांक-822, दिनांक -19.9.2020 को बताया है कि शाह ब्रदर्स की करमपदा खदान में अवशेष लौह अयस्क भंडार की मात्रा 3,50,650.89 टन यानी क़रीब 3.51 लाख टन ही है. वास्तव में यह मात्रा इससे भी काफ़ी कम है जिसे भारत सरकार की एक जाँच एजेंसी ने अपने फ़ोटो और विडियो में उस समय क़ैद किया है। प्रश्न उठता है कि खान सचिव उच्च न्यायालय के जिस आदेश की व्याख्या 11.6.21 को वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में स्वयं कर चुके हैं और जिस व्याख्या के आधार पर शाह ब्रदर्स द्वारा लौह अयस्क का उठाव कराना सुनिश्चित कराने के लिये अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध कर चुके हैं, उसके अनुपालन के लिये खान विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों की बैठक 20.7.2021 को अपनी अध्यक्षता में बुलाने का निहितार्थ क्या है?
श्री राय के अनुसार उपर्युक्त मुक़दमा में उच्च न्यायालय के दिनांक 21.5.2021 का अध्ययन करने के उपरांत मैंने मुख्यमंत्री से गत 4 जून को मिलकर एक लिखित अनुरोध किया था कि सरकार इस मामले में उच्च न्यायालय के फ़ैसला के विरूद्ध न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष अपील करे, एलपीए दायर करे. क्योंकि एक तो इस फ़ैसला में दर्ज है कि सरकार की ओर से बहस करते हुये राज्य के महाधिवक्ता ने इस मामले में प्रार्थी शाह ब्रदर्स की याचिका का घोर विरोध किया था और दूसरा कि इसके पूर्व उच्च न्यायालय की एकल पीठ में इस विषय में ही दायर शाह ब्रदर्स की समरूप याचिका wp(c) no. 177/2019 ख़ारिज की जा चुकी है जिसकी अपील उच्च न्यायालय की खंडपीठ में निर्णय के लिये लंबित है (मुक़दमा संख्या एलपीए नं० 183/2019). ऐसा नहीं कर खान सचिव ने दिनांक 11 जून,2021 को उच्च न्यायालय के इस फ़ैसले की स्वयं व्याख्या कर दी और इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने के लिये अपर मुख्य सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को पत्र भेज दिया. इस पत्र के आधार पर खान पदाधिकारी और सारंडा के प्रमंडल वन अधिकारी ने शाह ब्रदर्स को अवशेष लौह अयस्क भंडार का उठाव करने के लिये चालान और परमिट जारी कर दिया. नतीजतन शाह ब्रदर्स की करमपदा लौह अयस्क खदान से अयस्क का उठाव तेज गति से जारी है. आश्चर्य है अब खान सचिव ने उच्च न्यायालय के इस फ़ैसले का अनुपालन करने के विषय में विमर्श हेतु अधीनस्थ विभागीय अधिकारियों की बैठक 20.7.2021 को बुलायी है. इस बैठक में उन्होंने पश्चिम सिंहभूम के उस जिला खनन पदाधिकारी को भी बुलाया है जिसने विभाग के किसी उचित आदेश के बिना खान सचिव द्वारा वन विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखित पत्र (दिनांक-11.6.2021) को ही आधार मानकर शाह ब्रदर्स को लौह अयस्क का उठाव करने के लिये चालान दे दिया.विधायक ने लिखा है जिस प्रकार बिना किसी उचित आदेश के पश्चिम सिंहभूम के ज़िला खनन पदाधिकारी ने शाह ब्रदर्स को करमपदा खदान से लौह अयस्क का उठाव करने के लिये चालान दे दिया उसी प्रकार सारंडा के प्रमंडल वन पदाधिकारी ने विभाग से कोई उचित आदेश प्राप्त किये बिना शाह ब्रदर्स को सारंडा वन क्षेत्र से लौह अयस्क का परिवहन करने के लिये परमिट दे दिया. ये दोनों अधिकारियों ने सरकारी संपत्ति का अवैध उठाव कराने का आदेश अपने स्तर से दिया है जो कि एक मूल्यवान प्राकृतिक संपदा की चोरी को प्रश्रय देना है. इन अधिकारियों पर भा०द०वि० की धारा-158 एवं अन्य सुसंगत धाराओं के अंतर्गत आपराधिक मुक़दमा चलना चाहिये और इन्हें अविलंब अपने पद से निलंबित कर इनकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया आरम्भ की जानी चाहिये.यह माँग मैंने दिनांक 26 जून 2021 को ट्विट के माध्यम से उठाया था और 27 जून को मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर अवगत भी कराया था। इस पर शाह ब्रदर्स ने मेरे विरूद्ध डिजिटल, प्रिंट एवं द्रश्य-श्रव्य मिडीया में बयान दिया और मुझे ग़लत ठहराया. तदुपरांत 29 जून को संवाददाता सम्मेलन बुलाकर मैंने कहा था कि मेरे सामने अब स्वयं को सही साबित करने की चुनौती है. यदि राज्य सरकार इस बारे में निर्णय नहीं लेती है तो मुझे इसके लिये केन्द्र सरकार एवं उच्च/उच्चतम न्यायालय के पास जाने के लिये विवश होना पड़ेगा. मैं इसकी तैयारी कर रहा था कि सूचना मिली कि खान सचिव की अध्यक्षता में माननीय उच्च न्यायालय के दिनांक 21.5.2021 के निर्णय के अनुपालन के संबंध में विमर्श करने के लिये अधीनस्थ अधिकारियों की एक बैठक 20 जुलाई 2021 को बुलाई गई है. इससे स्पष्ट हो गया है कि खान सचिव ने दिनांक 11.6.2021 को अपर मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को लिखे पत्र में उच्च न्यायालय के दिनांक 21.5.2021 के फ़ैसले की जो व्याख्या की है वह पूर्णत: सही नहीं है, बल्कि गुमराह करने वाला है और इसे आधार बनाकर अपने अपने विभागों से उचित आदेश प्राप्त किये बिना अपने स्तर से पश्चिम सिंहभूम के ज़िला खनन पदाधिकारी द्वारा और सारंडा के वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा शाह ब्रदर्स के करमपदा खदान से लौह अयस्क का उठाव करने का क्रमश: चालान और परमिट दिया जाना ग़लत है, अनियमित है. ऐसा उन्होंने एक षड्यंत्र के तहत निहित स्वार्थ के दबाव में किया है. इसके लिये वे दंड के भागी हैं। विधायक ने कहा है झारखंड सरकार के खान विभाग की शह पर चल रहे लौह अयस्क की लूट का सिलसिला रूकना चाहिये और इसमें शामिल विभागीय अधिकारियों एवं अन्य के विरूद्ध नियमानुसार कठोर कारवाई होनी चाहिये.श्री राय ने साफ शब्दों में लिखा है कि खान विभाग में चल रही अवैध गतिविधियों, ख़ासकर लौह अयस्क के खनन एवं व्यवसाय से संबंधित अवैध गतिविधियों, के केन्द्र में खान विभाग के वर्तमान सचिव हैं. ये खान विभाग के सचिव पद पर बने रहने लायक़ नहीं है. इनके कारनामों के विधि सम्मत विश्लेषण से ही तय हो सकता है कि शासन एवं न्याय प्रणाली में ये किस स्थान पर रहने की अर्हता रखते हैं. सरयू राय ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा मुकदमा wp(c) no. 2013/ 2020 में दिनांक 21.5.2021 को पारित आदेश के विरूद्ध खंडपीठ के समक्ष एलपीए दायर करने का निर्देश देने अथवा उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष निर्णय के लिये लंबित मुक़दमा एलपीए संख्या -183/2019 को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कराने के लिये सरकार के सक्षम विधि अधिकारी को निर्देश दें।