उद्योग, पर्यटन, शिक्षा, चिकित्सा का हब बनाना होगा झारखंड को

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झारखंड के २२ वे स्थापना दिवस पर विशेष

▪️ झारखण्ड के श्रम एवं पैसों से विकसित हो रहे हैं दूसरे राज्य

झारखंड को बने 22 वर्ष हो गए परंतु आज भी झारखंड उद्योग, पर्यटन, शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में आज तक विकसित नहीं हो नहीं हो पाया है। आज से 22 वर्ष पूर्व 3 राज्य एक साथ अलग हुए थे: उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड। परंतु आज वे दोनों राज्य के लोगो की परकैपिटा इन्कम और झारखंड के लोगो की परकैपिटा इन्कम में काफी अंतर देखा जा सकता है।

जमशेदपुर शहर को बसे हुये 100 वर्ष से उपर हो चुका है। इसे स्टील सिटी की पहचान टाटा स्टील के स्थापना से मिली और यह गांव से शहर बनने की दिशा में आगे बढ़ा और इसे शहर की मान्यता मिलने में वर्षों लग गये। यहां टाटा स्टील के स्थापना होने से और भी उद्योग लगे। जमशेदपुर को झारखण्ड ही नहीं देश के एक प्रतिष्ठित शहर के रूप में पहचाना जाने लगा। जमशेदपुर शहर को अविभाजित बिहार और इससे अलग होने के बाद भी झारखण्ड की औद्योगिक राजधानी के रूप में पहचान मिला। झारखण्ड की मूल निवासियों के अलावा यहां सभी जाति, धर्म, प्रदेश के लोगों के निवास करने के कारण इसे मिनी इंडिया के नाम से भी जाना जाने लगा। लेकिन यहां इतना कुछ होने के बाद भी इसका विकास देश के अन्य छोटे-छोटे शहरों से भी पीछे रहा। यहां आज भी उच्च शिक्षा हेतु शिक्षण संस्थानों का अभाव है। यहां उच्च शिक्षण संस्स्थानों के अभाव के कारण एक ओर जहां विद्यार्थी अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा हेतु देश के दूसरे शहरों में पलायन करने हेतु विवश हैं। झारखण्ड से बाहर जाने के बाद वे वापस यहांँ नहीं आते हैं और और यहांँ की प्रतिभा से यहांँ का विकास न होकर दूसरे राज्यों का विकास होता है वहीं दूसरी ओर छात्रों के पढ़ाई हेतु दूसरे राज्यों में जाने से यहां का पैसा और राजस्व दूसरे राज्यों को विकसित कर रहा है। इसलिये यहां उच्च शिक्षण संस्थान खोलने हेतु कदम उठायें जायें।

आज झारखंड मे चिकित्सा हेतु मल्टीस्पेशिलिटि अस्पताल नहीं के बराबर है। जिस कारण रोगियों को गंभीर बीमारी के ईलाज हेतु देश के दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। और उनके ईलाज में खर्च होने वाला भारी भरकम रकम दूसरे राज्यों में जाती है और वहां के विकास में सहायक होती है। आए दिन करोड़ो रुपए झारखंड में चिकित्सा का अभाव होने के कारण बाहर चले जाते हैं। अगर झारखण्ड राज्य में गंभीर बीमारियों के ईलाज हेतु मल्टीस्पेशिलिटि अस्पताल खुले तो रोगियों को ईलाज हेतु देश के दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा और उनके ईलाज में लगने वाला पैसा यहां के विकास में खर्च होगा और रोगियों के समय की बचत होगी। कई बार गंभीर बिमारियों के तुरंत ईलाज हेतु मरीज को बड़े शहरों यथा वेल्लोर, चेन्नई, कोयम्बटूर, बंगलोर, कोलकाता, दिल्ली, हैदराबाद के बड़े अस्पतालों में ले जाने की आवष्यकता पड़ती है। वर्तमान परिस्थिति में रेल और हवाईजहाज दोनों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे कि इन गंभीर मरीजों को शयन मुद्रा में जीवन रक्षक उपकरणों के साथ उक्त बड़े शहरों में ईलाज हेतु पहुंचाया जा सके।

झारखण्ड सरकार द्वारा होल्डिंग टैक्स में अत्याधिक वृद्धि कर दी गई है जिसके कारण आम नागरिक, व्यापारीगण, गृह स्वामी सहित पूरी जनता परेशान, उद्वलित एवं आक्रोशित है। इतना अधिक होल्डिंग टैक्स बढ़ाया जाना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है।

जमशेदपुर एक प्रतिष्ठित शहर के रूप में पहचाना जाता है जो झारखण्ड की औद्योगिक राजधानी भी है, जहां से झारखण्ड राज्य को राजस्व की सबसे ज्यादा प्राप्ति होती है। यहां लगभग एक हजार से अधिक बड़े, मध्यम एवं लघु उद्योग स्थापित हैं। लेकिन यहां अबतक हवाई अड्डे का निर्माण नहीं हो पाया है। जिसके कारण यहां आने-जाने वाले उद्यमियों, व्यापारियों ओर पेशेवरों को हवाई यात्रा करने हेतु दूसरे शहर जाना पड़ता है जो उनके लिये काफी परेशानी वाला और समय की बर्बादी वाला है। एयरपोर्ट की अनुपलब्धता के कारण जमशेदपुर का विकास लगभग ठहर सा गया है। यहां नये व्यवसाय और उद्योगों की स्थापना नहीं हो पा रही है। औद्योगिक घराने इसके लिये रूचि नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण युवा पीढ़ी भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद यहां रोजगार, व्यापार एवं उद्योग नहीं करना चाहते हैं। भारत सरकार की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनस’ के लिये भी एयरपोर्ट की स्थापना अतिआवश्यक है। विगत कई-कई वर्षों से जमशेदपुर एवं इसके आसपास के शहर का औद्योगिक विकास ठहर सा गया है। इसका प्रमुख कारण यहाँ पर नये उद्योगों का नहीं आना। पूर्व से अवस्थित उद्योगों का उचित विस्तारीकरण नहीं करना। बड़े सरकारी उपक्रमों की शाखायें यहां स्थापित नहीं किये जा सके। जिस कारण जनसंख्या में वृद्धि के अनुरूप रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं और बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है। तंग-बेहाल लोग आत्महत्या करने की ओर बढ़ रहे हैं। आज जो मध्यम और सूक्ष्म उद्योग स्थापित हैं वे केवल टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के अनुषंगी ईकाईयों के रूप में ही कार्य करने पर विवश हैं। किसी भी शहर/जिला के विकास में उद्योगों की अहम भूमिका होती है। यहां के समग्र विकास हेतु यह अति आवश्यक है कि कोल्हान में नये बड़े उद्योग स्थापित हो। जमशेदपुर एक औद्योगिक शहर है। इसलिये जमशेदपुर एम.एस.एम.ई. कॉन्क्लेव आयोजित करने का उचित स्थान है। एम.एस.एम.ई. कॉन्क्लेव होने से यहां बड़े उद्यमी आयेंगे और यहां के व्यापारी उद्यमी उनके संपर्क में आयेंगे जो औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभायेंगे। यहां आज भी टेªडिंग कलस्टर की स्थापना नहीं हो पाई है। अन्य विकसित राज्यों की तर्ज पर जमशेदपुर में भी टेªडिंग कलस्टर की स्थापना की जाय जिससे कि एक ही स्थान पर थोक विक्रेताओं के कार्यालय, गोदाम, लोडिंग-अनलोडिंग की सुविधा, बैंक्स आदि की संपूर्ण सुविधा उपलब्ध हो जिससे कि सभी सामग्रियों (जैसे, कपड़ा, प्लाईवुड, मार्बल आदि-आदि) के थोक व्यापार अलग-अलग जगहों पर अवस्थित ने होकर एक स्थान पर हो।

कोल्हान प्रमंडल को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने के लिहाज से यहां सभी तरह की प्राकृतिक सुविधायें और सौंदयर्ता उपलब्ध हैं लेकिन उनका सही इस्तेमाल और उचित तरीके से प्रबंधन नहीं होने से पर्यटन क्षेत्र के रूप में पहचान आज भी नहीं मिल पाया है। डिमना से दलमा तक रोपवे का निर्माण, घाटशिला, बुरूडीह, हाता नरवा आदि क्षेत्रों इसके लिये विकसित किया जाय। इसके अलावा चांडिल डैम में पुनः नौका चालन का परिचालन आरंभ हो।चांडिल डैम में एक अच्छे रेस्टोरेंट की व्यवस्था हो।चांडिल डैम के आसपास 4-6 कमरे का एक गेस्ट हाउस बने ताकि वो निकटवर्ती राज्यों के पर्यटकों को भी आकर्षित कर सके।अगर सही तरीके से पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य किया जाय तो यह उद्योग का दर्जा भी ले सकता। पर्यटन के द्वार खोलने से यहां देश-विदेश के पर्यटक आयेंगे। इससे इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगा। पिछले कुछ महीनों से कोल्हान समेत पूरे राज्य में बालू की किल्लत देखी जा रही है। राज्य के विकास हेतु चल रहे बड़े निर्माण कार्यों जैसे, उद्योग हेतु फैक्ट्री/प्लांट्स, सड़क के साथ बिल्डर्स एवं रियल स्टेट के कार्यों को पूरा करने हेतु बालू कि अति आवश्यकता है लेकिन पिछले कुछ महीनों से राज्य में बालू की किल्लत हो जाने से यह सभी निर्माण के कार्यों में जो तेजी आनी चाहिए थी वो नहीं हो पा रही है तथा कुछ निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप पड़े हैं। इससे राज्य के विकास की गति भी रूक गई है और राज्य के राजस्व में क्षति हो रही है। बालू की कमी से छोटे-मोटे पूर्व निर्मित भवन, घर मरम्मतीकरण के कार्य जैसे टाईल्स, पाईप फिटिंग्स एवं अन्य दूसरे कार्यों में रूकावट आ रही है। इस क्षेत्र से जुड़े दूसरे सामानों के व्यापार में भी गिरावट देखी जा रही है।

कोल्हान क्षेत्र में बिजली सप्लाई में होता है सौतेला व्यवहार
कोल्हान क्षेत्र में डीवीसी के द्वारा बिजली की आपूर्ति नहीं की जाती है। जबकि झारखण्ड के अन्य जिलों जैसे बोकारो, रामगढ़, महगामा आदि जिलों में डीवीसी के द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है जिसकी बिजली की प्रति यूनिट लगभग 3.60 रूपये है वहीं कोल्हान के उपरोक्त स्थानों में स्थापित उद्योगों को बिजली लगभग 5.60 रूपये के हिसाब से प्राप्त हो रही है। जो कि डीवीसी की बिजली की दर से करीब 40 प्रतिशत अधिक है। इस कारण से इस क्षेत्र के बहुत सारे उद्योग विशेषकर आयरन एंड स्टील से संबंधित तथा अन्य उद्योग जिनका प्रमुख रॉ मैटेरियल बिजली ही है राज्य के अन्य उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रहे हैं और फलस्वरूप उन्हें इस क्षेत्र में अपना उद्योग बंद करना पड़ रहा है।बिजली की दर अधिक होने के कारण इस क्षेत्र से उद्योगों का बंद/पलायन होना लगातार जारी है इससेे इस क्षेत्र से झारखण्ड सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व में कमी आयेगी, बेरोजगारी भी बढ़ेगी। इसलिये कोल्हान में नये उद्योगों की स्थापना और पलायन को रोकने हेतु झारखण्ड के अन्य जिलों में मिलने वाली बिजली दर के अनुरूप ही एक समान दर से बिजली उपलब्ध हो इसके लिये उचित कदम उठाये जाने चाहिए या डीवीसी की बिजली सप्लाई शुरू की जाय। झारखण्ड राज्य में अभी तक खाद्य पदार्थ निर्यात नीति (फूड एक्सपोर्ट नीति) नहीं बनाई/लागू की गई है। कोल्हान क्षेत्र में भी खाद्य पदार्थ निर्माण से संबंधित बहुत सारे उद्योग स्थापित हैं जो अभी राज्यस्तरीय हैं। यहां खाद्य पदार्थ टेस्टिंग लैब का निर्माण होने और राज्य में खाद्य पदार्थ निर्यात नीति बनने/लागू हो जाने से यहां के यह उद्योग अपने आप को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के लायक माल उत्पादन करने के लिये अग्रसर होंगे। कोल्हान में पहले ड्राईपोर्ट की सुविधा थी लेकिन अब यह बंद है इसलिये ड्राईपोर्ट की सुविधा उपलब्ध हो इससे एक्सपोर्ट व्यवसाय में बढ़ोतरी होगी।
जियाडा के द्वारा उद्योगों के लिये जमीन आवंटन हेतु बीडिंग कराई जाती है इससे बड़े पूंजीपति तो जमीन के लिये अधिक पैसे का बीडिंग कर जमीन प्राप्त कर लाभ ले लेते हैं लेकिन कम पूंजी वाले लोग जमीन नहीं मिल पाने से उद्योग नहीं लगा पाते हैं। इसलिये 10 हजार वर्गफीट तक की जमीन को निर्धारित मूल्य पर लॉटरी के जरिये आवंटित किया जाय।

आये दिन व्यापारीगण समेत आम जनता साईबर क्राईम के जरिये विभिन्न प्रोपोगंेडा का शिकार होकर लूटे जा रहे हैं इसपर अंकुष लगाया जाय। लॉ एंड ऑर्डर पर लगाम लगाने के लिये हरियाण सरकार की तर्ज पर मोबाईल के नकली सिम कार्डों को नष्ट करने की मुहिम शुरू की जाय।

कोल्हान के जो भी व्यापारी/उद्योगपति ळैज् (जी.एस.टी.) में पंजीकृत है उन्हें उनके जीएसटी देनदारी के अनुपात में बीमा का टर्म प्लान एवं देष में जितने भी आयकर दाता हैं उन्हें मेडिक्लेम की सुविधा केन्द्र/राज्य सरकार को सरकारी मद से प्रीमियम का भुगतान करते हुये बीमा करने का प्रावधान होना चाहिए। जीएसटी देने वाले व्यापारियों के लिए इस तरह के गु्रप टर्म प्लान बीमा कराने में तथा आयकर दाताओं के मेडिक्लेम सुविधा दिलाने में जहां सरकार को प्रीमियम के मद में काफी कम खर्च आयेगा वहीं दूसरी ओर अगर जीएसटी में किसी पंजीकृत व्यापारी का आकस्मिक निधन/दुर्घटना हो जाती है तो उसके परिवार को इस बीमा के अंतर्गत कुछ राषि मिल जायेगी जो कि उसके परिवार के पालन-पोषण में काफी सहायक सिद्ध होगी। सरकार के द्वारा आयकर दाताओं के लिये बीमा योजना या मेडिक्लेम की सुविधा लागू कर दे तो पूरे देश में एक सकारात्मक संदेष व्यापारियों के बीच और आयकरदाताओं के बीच जायेगा और आयकर दाताओं की संख्या में भी ईजाफा होगा।

प्री-पैक्ड और प्री-लेवल खाद्य पदार्थों पर पिछले दिनों 5 प्रतिषत टैक्स लगाया गया है इसका सीधा भारत आम जनता पर पड़ेगा और महंगाई बढ़ेगी इसे वापस लिया जाना चाइये। राष्ट्रीय उच्च पथ के दोनों ओर बैरिकेंटिंग किया जाय जिससे कोई पशु सड़क पर पहुंच सके। पशुओं के सड़क पर आ जाने से यात्रियों के साथ बड़ी दुर्घटना का अक्सर कारण बनते हैं।

इस शहर को जमशेदपुर के संस्थापक जमशेदपुर नौसेरवान जी टाटा और टाटा घराने के सपनों के शहर के रूप मेें देखा जाता था। जिसे बसाने की कल्पना जमशेदजी नौसेरवान जी टाटा ने बड़े सुव्यवस्थित ढंग से की और उसे पूरा भी किया। लेकिन आज जिस हिसाब से यहां जनसंख्या और वाहनों की संख्या में ईजाफा हुआ है उसे पार्किंग एक बड़ी समस्या बनती जा रही है और सड़कों पर बेतरतीब गाड़ियां जहां-तहां खड़ी दिख जा रही है इससे सड़क हादसों में वृद्धि हुई है। शहर में सड़क किनारे ठेले खोमचों वालों की बढ़ती संख्या में सड़क में जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और इससे दुर्घटनायें घटित होने की संख्या बढ़ती जा रही है। इसलिये शहर के विभिन्न स्थानों पर इनके लिये अलग वेंडिंग जोन बनाई जाय।

अध्य्क्ष, सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

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