नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने के प्रयास पर ग्रहण
जमशेदपुर : भाजपा विधायक दल नेता को लेकर कल रात रांची स्थित पार्टी कार्यालय में हुई बैठक के दौरान पार्टी के विधायकों ने जे पी पटेल के नाम को लेकर कड़ा एतराज जताया. मिली जानकारी के अनुसार जब उक्त बैठक में नेता प्रतिपक्ष के लिये मांडू के विधायक जेपी पटेल का नाम आगे किया गया तो पार्टी के विधायकों ने इस बात पर अपना ऐतराज जताया कि बाहर से लोगों को तवज्जो दी जा रही है. जो सालों साल के निष्ठापूर्वक पार्टी की सेवा कर रहे हैं, उनका भी मान सम्मान रखा जाए. सबसे पहले रामचंद्र चंद्रवंशी ने अपना विरोध जताया और देखते देखते 14-15 विधायक भी उनके समर्थन में खड़े हो गये. विधायकों की नाराजगी इतनी रही कि वहां उनके लिये जो भोजन की व्यवस्था की गई थी, उसका भी उन्होंने एक तरह से बहिष्कार कर दिया. वे बिना भोजन किये वहां से चले गये. बैठक में पर्यवेक्षक के रुप में आये केन्द्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे, संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नागेन्द्र नाथ तिवारी आदि मौजूद थे. अश्विनी चौबे ने विधायकों को मनाने का प्रयास किया और उनसे कहा कि वे अपनी ओर से तीन-तीन नाम दें, वे उन नामों को लेकर दिल्ली जाएंगे. इसपर ऐतराज जताते हुए विधायकों ने कहा कि यह केवल आईवाश है. इस तरह नाम लिये जाने का कोई मतलब नहीं होता. आप पहले से तय कर लिये हैं कि किसे विधायक दल का नेता बनाना है.
भाजपा के विधायकों में इस बात को लेकर प्रतिक्रिया देखी जा रही है कि आदिवासी-मूलवासी को साधने के चक्कर में उनके कोर वोटर के नाराज होने का खतरा है. अभीतक भारतीय जनता पार्टी झारखंड में विधायक दल का नेता और प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर हमेशा से संतुलन बनाये रखती है. यह पहला मौका है जब दोनों पदों पर मूलवासी को ही स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है. माना जा रहा है कि पिछली रघुवर दास सरकार के कार्यकाल के बाद भाजपा को करारा झटका लगा है और खास तौर पर आदिवासी बहुल इलाकों में जिस तरह से पार्टी का सूपड़ा साफ हुआ, उससे घबराई पार्टी मूलवासी समीकरण पर ज्यादा जोर दे रही है, मगर उन विधायकों को खतर महसूस हो रहा है, जो गैर मूलवासी विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं. वहां उनके कोर वोटरों का नाराज होने का खतरा है और उसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
जे पी पटेल साल 2019 के विधान सभा चुनाव केसमय झामुमो से भाजपा में शामिल हुए थे । उस साल बीजेपी में े 4 विधायक कुणाल षाड़ंगी, जे पी भाई पटेल, (सभी जेएमएम) सुखदेव भगत, मनोज यादव(दोनो कांग्रेस) शामिल हुए थे। इनमें बाकी सभी हार गये केवल जे पी भाई पटेल जीत पाये थे। निर्दलीय भानु प्रताप शाही ने भी बीजेपी का दामन थामा था और वे भी चुनाव जीते।