जमशेदपुर, 9 दिसंबर : प्रख्यात लेखक पद्मभूषण जावेद अख्तर आज के माहौल पर चिंता जताते हुए कहा कि तर्कसंगत बातें होनी चाहिये जिसका आज अभाव पूरी दुनियां में दिख रहा है, यह कब ठीक होगा कहना मुश्किल है। आज टाटा स्टील द्वारा सेंटर फार एक्सलेंस में आयोजित लिटरेरी मीट के कर्टन रेजर कार्यक्रम कहा कि तर्कसंगत बातें नहीं हो रही है। जबतक तर्कसंगत बातें नहीं होंगी तबतक दुनियां ठीक नहीं होगी। यह गड़बड़ी कब सही होगी कहना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि 10 धर्म हैं लेकिन एक ही में दिमाग खराब होता है, नौ में खराब नहीं होता।
कई फिल्म फेयर एवं नेशनल फिल्म अवार्ड से सम्मानित पद्मश्री और पद्मभूषण जावेद अख्तर ने कहा कि 70 के दशक के बाद माहौल बदला है। खासकर मध्यम वर्ग एवं अपर मिडिल क्लास के स्तर में काफी सुधार आया है। लेकिन ट्रेन पकडऩे के चक्कर में प्लेटफार्म पर लोग जरूरी बैगेज भूल जा रहे हैं. उन्होंने मौजूदा बदलते परिवेश में युवा वर्ग के कैरियर बनाने के प्रति माता-पिता की जिम्मेदारी की चर्चा करते हुए कहा कि 70 के दशक तक का परिवेश अलग लिटररी मीट के कर्टन रेजर कार्यक्रमथा अब हर कोई अपने बच्चे को डाक्टर इंजीनियर बनाना चाहता है उसके लिए अब पैकेज का बड़ा महत्व हो गया है. ऐसे माहौल में साहित्य कला, लेखन, पेंटिंग आदि गुम होते जा रहे हैं या तो ये रईसी के प्रतीक माने जाने लगे हैं या इनको औचित्यहीन अब माना जाता है. उन्होंने कहा कि हलांकि कोलकाता, दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में युवा वर्ग में लेखन और सृजनशीलता देखी जा रही है. वे किताबों के प्रति अब अधिक गंभीर दिखते हैं. उन्होंने कविता को समाज के लिये विटामिन बताया और कहा कि समाज में साहित्य उसके स्पंदन का प्रतीक होता है.
श्री अख्तर ने दुनिया के मौजूदा हालत को बहुत खतरनाक बताते हुए कहा कि अभी संतुलन का अभाव देखा जा रहा है. कोई भी रेशनल नजर नहीं आता. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल में झगड़़ा होने पर बच्चे ने आकर घर में जब इसकी शिकायत की तो माता-पिता ने उस बच्चे को इसके जवाब में बच्चे को पिटने को कहा. अगले दिन स्कूल से शिकायत आयी कि बच्चे ने क्लास रूम में किसी बच्चे को पीट दिया है. तब माता-पिता ने उससे कहा कि मैंने तो फुटबाल ग्राउंड में मारने को कहा था तुमने क्लास रूम में क्यों मारा.? जावेद अख्तर ने कहा कि जब हम किसी को इस तरह शिक्षा देंगे तो वह ये नहीं देखेगा कि कहां मारना है.वह तो केवल मारना सीख रहा है। आज समाज में यही हो रहा है. पूरी दुनिया में राइटविंग के कारण एक माहौल बिगड़ा हुआ है। राइटविंग में महिलाओं का महत्व नहीं उसमें आपको कभी लेखक नहीं मिलेंगे. जब आप एक पहलू को लेकर चलते हैं तो सृजनशीलता का साफतौर पर अभाव रहता है.
उन्होंने कहा कि आज 10 धर्मों में केवल एक धर्म को निशाने पर लिया जा रहा है 9 धर्म से कोई वैमन्सय नहीं दिखता. हाल ही गृह मंत्रालय ने कोर्ट से कहा कि वह कोर्ट की भाषा से उर्दू को हटा दे. कुछ दिनों के बाद कोर्ट ने कहा कि यह उसके लिए संभव नही है. उन्होंने कुछ उदाहरण के साथ बताया कि बोलचाल की भाषा में हम फारसी, टर्की, फ्रेंच, जर्मन, जापानी, उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत का प्रयोग एक ही वाक्य में कर जाते हैं. यही भाषा की खूबसूरती होती है. उसे कहां से लिया जाता है यह नहीं देखा जाता.
चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि शाह भी फारसी शब्द है।
जावेद अख्तर ने कहा कि यह नहीं सोचना चाहिए कि कविता से क्रांति आती है लेकिन जब समाज में आक्रोश होता है तो वह जरूर लेखक कवियों की ओर देखता है. 70 के दशक के एंग्री यंग मैन के हिट होने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौर में समाज में एक आक्रोश देखा जा रहा था और जब एंग्री यंग मैन की फिल्म में इंट्री हुई तो लोग उसमें अपनी छवि देखते लगे.
इसके पहले टाटा स्टील के उपाध्यक्ष कारपोरेट सेवा चाणक्य चौधरी ने जावेद अख्तर का स्वागत करते हुए बताया कि टाटा स्टील द्वारा लिटरी कार्यक्रम रांची, कोलकाता और ओडिशा में होता है यहां लोगों ने हमसे पूछा कि जमशेदपुर में क्यों नहीं किया जाता तो हमने बताया कि जमशेदपुर में वैसे भी बहुत कार्यक्रम होते हैं. अक्टूबर से फरवरी तक टाटा स्टील की ओर से कई आयोजन किये जाते हैं. इस बार हमने जावेद अख्तर साहब से जमशेदपुर में कार्यक्रम करने का अनुरोध किया और उन्होंने स्वीकार किया. इस दौरान लोगों ने जावेद अख्तर से सवाल जवाब भी किये. सेंट्रल फार एक्सलेंस के खुले मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शहर के काफी गण्यमान्य लोग मौजूद थे.