जमशेदपुर के लोयला स्कूल से पढ़ने श्रुति राजलक्ष्मी ने यूपीएससी में 25वां स्थान लाने में सफलता प्राप्त किया है। upsc की ओर से सोमवार को UPSC 2021 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। इसमें झारखंड के युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। श्रुति बीएचयू आइआइटी से 2019 में कप्यूटर साइंस से पास करने के बाद एक वर्ष नौकरी की। फिर स्वयं से तैयारी कर यूपीएससी में सफलता प्राप्त की है। पिता आनंद कुमार वकील हैं और मां जिला समाज कल्याण पदाधिकारी हैं। अभी प्रोजेक्ट भवन में हैं। श्रुति ने स्वयं से रांची और दिल्ली में रहकर तैयारी की।अभी श्रुति रांची में रहती है। लेकिन 2006 से 2013 तक श्रुति जमशेदपुर में रहती थी। श्रुति की माता प्रीति उस समय चांडिल प्रखंड में सीडीपीओ थी। श्रुति का बचपन जमशेदपुर में ही गुजरा है। श्रति लोयला स्कूल की 2013 बैच की साइंस टॉपर(दसवीं) थी। श्रुति ने स्वयं से रांची और दिल्ली में रहकर तैयारी की। 12वीं तक की पढ़ाई डीपीएस आरकेपुरम दिल्ली से की है। जमशेदपुर में श्रुति डिमना रोड मून सिटी में रहती थी।
रुति लोयोला स्कूल जमशेदपुर की साइंस टापर रही है। 12वीं डीपीएस आरकेपुरम दिल्ली से की है।रांची के मुकेश कुमार गुप्ता को सिविल सेवा परीक्षा में 499वां रैंक हासिल हुआ है। गढ़वा जिले के गढ़वा प्रखंड के हूर गांव निवासी विपिन कुमार चौबे की पुत्री नम्रता चौबे सिविल सेवा परीक्षा पास करने में सफल रही हैं। नम्रता को 73 रैंक मिला है।
उसके पिता मध्य विद्यालय परिहारा गढ़वा में सरकारी शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। अभी नम्रता दिल्ली में है। स्वजनों के अनुसार वह अगले सोमवार को गढ़वा आएगी।पलामू जिले के पांडु के रहनेवाले कुमार सौरभ ने यूपीएससी परीक्षा में 357वां स्थान प्राप्त किया है।
सुमित कमार ठाकुर
सरायकेला-खरसावां जिला के आदित्यपुर के रोड नंबर तीन निवासी सुमित कमार ठाकुर को यूपीएससी में 263वां रैंक मिला। सुमित को उम्मीद है कि उसे इडब्ल्यूएस केटेगरी का लाभ मिलेगा। उसे आइएएस संवर्ग मिलेगा। सुमित के पिता विजय कुमार ठाकुर स्कूली वैन चालक है। बमुश्किल से उन्हें 10-11 हजार रुपया महीना मिलता है। पहले इसी से उनका घर बार चलता था। सुमित ने बताया कि यह सफलता तीसरी बार के प्रयास में मिली। पहली बाद वर्ष 2019 में भी यूपीएससी की परीक्षा दी थी। इसी दौरान वे इंटरव्यू तक पहुंच गए थे। मात्र तीन अंक से वे चूक गए थे। इसके बाद कोविड के कारण परीक्षा नहीं हो पाई। इसके बाद 2021 में इसके लिए फिर से तैयारी की और अंतत: इसमें वे कामयाब हो गए।
रामकृष्ण मिशन बिष्टुपुर से दसवीं तक पढ़ा
सुमित की प्रारंभिक से लेकर दसवीं तक की शिक्षा रामकृष्ण मिशन बिष्टुपुर से हुई है। इसके बाद उन्होंने राजेंद्र विद्यालय से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। जेइइ मेन के आधार पर उन्हें बीआइटी सिंदरी धनबाद में दाखिला किया। वहां उन्होंने 2014-18 बैच में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लिया और अपना कोर्स पूरा किया। इस दौरान उनका यामाहा, टीसीएस व मैकलाइन का आफर भी ठुकराया। उन्होंने अपनी एक स्टार्टअप कंपनी पैतव्य प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी शुरू की है, जो सॉफ्टवेयर डेवलपर का कार्य करती है। इस कंपनी की ओर से कोविड काल में कई एप बनाए गए हैं।
गिरिडीह के रहनेवाले रवि कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा में 38वां स्थान हासिल किया है। देवघर के चिरंजीव आनंद को सिविल सेवा परीक्षा में 126 रैंक मिला है।लोहरदगा से राकेश रंजन उरांव ने यूपीएससी में पाई सफलता। राकेश के पिता सेवानिवृत्त बैंक कर्मी, मां चुन्नीलाल उच्च विद्यालय में शिक्षिका हैं। वर्तमान में राकेश ट्राइबल इंस्टिट्यूट रांची में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। पांचवी जेपीएससी में सफलता पाने के बाद वर्तमान में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कर काम रहे। जेपीएससी में सफलता के बाद भी यूपीएससी की तैयारी जारी रखी थी। पिछली बार भी राकेश इंटरव्यू तक पहुंचे थे।
रामगढ़ के सीसीएल रजरप्पा आवासीय कॉलोनी के रहने वाली दिव्या पांडे ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता अर्जित करते हुए 323 वां रैंक प्राप्त कर रजरप्पा कोयलांचल का नाम रोशन किया है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की रहने वाले सेवानिवृत्त सीसीएल कर्मी जेपी पांडेय की द्वितीय पुत्री दिव्या की प्रारंभिक पढ़ाई डीएवी रजरप्पा से हुई है।