जमशेदपुर पूर्वी विधान सभा सीट इस बार फिर बन गई है हॉट, सरयू राय, डा अजय और काले कर चुके हैं खुला ऐलान, कई समीकरण बनने बिगड़ने की भी है संभावना

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जमशेदपुर : पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा सीट एकबार फिर हॉट बन गई है. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को उन्हीं के कैबिनेट मंत्री रहे सरयू राय ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्हें हरा कर खूब चर्चा बटोरी . इस सीट की चर्चा पूरे देश में रही. रघुवर दास पांच बार यहाँ से जीतते आ रहे थे. यह सीट भाजपा की स्थापित सीट रही. पहले यहाँ से दिवंगत दीनानाथ पाण्डेय बहैसियत भाजपा उम्मीदवार तीन बार जीते थे. मिनी हिंदुस्तान के रूप में जमशेदपुर शहर में सभी समाज के लोग रहते हैं और यहाँ किसी जात पात की बात असर नहीं डालती. यहाँ कांग्रेस के नरीमन , स्व अखौरी भी जीते. पांच साल बाद फिर विधानसभा चुनाव आ गया है और फिर यह सीट चर्चा में है.
सर्वाधिक चर्चा सरयू राय के स्टैंड को लेकर है,क्योंकि वह जे डी यू में शामिल हुए हैं. जे डी यू एन डी ए का प्रमुख घटक है और चुनावी गठजोड़ में भागीदार है. भाजपा सह चुनाव प्रभारी और उसके वर्तमान में प्रमुख रणनीतिकार असम मुख्यमंत्री हेमंता विस्वाशर्मा भी बता चुके है कि इस चुनाव में जे डी यू के साथ सीट हिस्सेदारी होगी लेकिन यह दिल्ली में तय होगी. इस प्रकार सिटिंग विधायक होने के नाते सरयू राय को पूरा भरोसा है कि उनको ही एन डी ए पूर्वी जमशेदपुर से उम्मीदवार बनाएगा. सरयू राय हर हाल में पूर्वी से लड़ने के लिए कमर कस चुके हैं और जन मोर्चा ने माहौल भी बना रखा है. भारतीय जनता पार्टी किसी फार्मूला के तहत अगर पूर्वी सीट खुद लड़ती है तब राय जी का स्टैंड क्या होगा, यह जानने और चर्चा करने की दिलचस्पी लोगों में है. तब ऐसा प्रतीत होता है कि जैसा सरयू राय खुद के दिलो- दिमाग़ पर चलने वाले व्यक्ति हैं, आश्चर्य नहीं कि वे खुद के स्थापित भारतीय जन मोर्चा का बैनर फिर उठा लेंगे. वे मोर्चा के संरक्षक पूर्ववत बने हुए हैं और मोर्चा का विलय जे डी यू में नहीं हुआ है. इस दृष्टि से सरयू राय की उम्मीदवारी पक्की दिख रही. श्री राय को लेकर चर्चा होती है कि उन्हें कहीं एन डी ए जमशेदपुर पश्चिम भेज दे, लेकिन श्री राय के तेवर और प्रचार कलेवर, होर्डिंग्स, आदि के आधार पर लगता नहीं कि वह पश्चिम जाएं. पूर्वी पर ही वह अपना पांव अंगद की तरह जमाए रखने को तैयार दिख रहे. तब भाजपा क्या करेगी ? उधर ‘जय जगन्नाथ ‘ का कोड वर्ड भी खूब चल रहा. “जय जगन्नाथ ” का अर्थ भुवनेश्वर राज भवन से बहने वाली रणनीतियों की हवा को लेकर लगाया जा रहा, हलाकि राय शुमारी में अनेक नए चेहरे शामिल हुए और अपनी दावेदारी पेश करायी. कुछ दिन पहले लिखित आवेदन देकर पूर्वी में भूमिहार वोटरों के मद्दे नजर शैलेन्द्र सिंह टिकट की मांग उठा चुके हैं.इसका यही मायने लगाया जा रहा कि भाजपा में नयी पीढ़ी और नए लोग रघुवर दास के समानांतर खड़े हो गए हैं. उनका कहना है जात पात, प्रान्त से ऊपर पूर्वी में भाजपा अब अपना उम्मीदवार दे . इसके अतिरिक्त प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी का विश्वासपात्र एक नाम, आर एस एस आशीर्वाद प्राप्त दूसरा नाम तो रेल से अवकाश प्राप्त चौथा नाम के अलावा एक पूर्व महानगर अध्यक्ष, पूर्व विधायक प्रतिनिधि,कुछ अन्य “नव रत्न “भी कहीं उम्मीदवारों की सूची में डार्क हॉर्स न बन जाएं , इस पर भी लोगों की निगाहें हैं.पूर्वी जमशेदपुर में भाजपा समर्थकों का बाहुल्य है, न कि किसी खास प्रान्त या किसी खास समूह -जाति विशेष का तब क्या भाजपा जदयू से समझौता करेगी अथवा जमशेदपुर सीट छोड़ना चाहेगी ? आसार पुनः भाजपा बनाम सरयू राय वाली स्थिति के बन रहे ? तब क्या भाजपा चेहरा और कमान बदल कर अपनी खोयी सीट हासिल करना चाहेगी ? इस स्थिति में भाजपा उम्मीदवार कौन होगा, अभी तक तस्वीर साफ नहीं हुई है. भाजपा के उम्मीदवार के आने पर मुकाबला बहुआयामी हो जाय तो अतिश्योक्ति नहीं. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता और पिछले विधान सभा चुनाव में सरयू राय का कथित रूप से साथ देने के आरोप में तथाकथित रूप से निष्कासित अमरप्रीत सिंह काले भी विधानसभा चुनाव लडने की घोषणा कर चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के लिए ही उनकी तैयारी थी जिस कारण ही उनपर आरोप भी लगे कि अपने लड़कों को उन्होंने सरयू राय की लड़ाई में लगा दिया.उनका कहना है कि उन्हें पार्टी से निष्कासन का कोई पत्र या कारण बताओ आज तक नहीं दिया गया. वे पूर्ववत भाजपा में होने और दल की मर्यादा के अनुकूल आचरण दिखाते हुए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विश्वास प्रदर्शित करने का कोई मौका नहीं चूकते जिस पर जिला संगठन द्वारा संपादकों को पत्र लिख कर प्रतिक्रिया भी व्यक्त की गयी थी. पिछले संसदीय चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो के लिए खुल कर प्रचार किया. संगठन मंत्री नागेंद्र त्रिपाठी हों या कर्मवीर सिंह अथवा प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा के तो वे विश्वास पात्र ही माने जाते हैं – सबसे काले मिल कर अपना पक्ष रखते हैं. अन्य भाजपा नेताओं के बीच भी अपनी गहरी पैठ रखते हैं लेकिन रघुवर दास उनके धुर विरोधी माने जाते हैं. पिछले विधान सभा चुनाव परिणाम पर जिसमें रघुवर दास की हार हुई, कहा गया कि उनके बूथ फ़ोर्स ने काम किया. किन्तु राम नारायण शर्मा के लोगों और निष्कासित कतिपय अन्य युवा सतीश सिंह, रतन महतो आदि को भी इसीलिए किनारे लगाया गया कि उन्होंने सरयू राय के लिए काम किया, क्योंकि राय जी पूर्वी क्षेत्र में ऐन चुनाव के वक्त बिना पूर्व की तैयारी के उतरे अर्थात ऐसा प्रतीत होता है कि अगर श्री काले की स्थिति भाजपा में साफ नहीं होती तब वे चुनाव मैदान में उतरेंगे, जैसा वह कह चुके हैं कि उनके कार्यकर्ताओं और लोगों का उनपर चुनाव लड़ने के लिए भारी दवाब है जिसकी अवहेलना करना मतलब अपने राजनीतिक जीवन का अंत करना होगा . दूसरी ओर पूर्व सांसद एवं कांग्रेस प्रवक्ता डॉ अजय इस सीट पर एक तगड़े कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपनी प्रस्तुति लगातार दे रहे और विधायक तथा भाजपा को अपनी रणनीति के तहत लगातार निशाने पर ले रहे. डॉ अजय जमशेदपुर संसदीय सीट पर विद्युत बाबू से पराजय के बाद लगभग 10 साल जमशेदपुर में सक्रिय राजनीति और चुनाव से दूर हो गए , लेकिन इस बार वे हर हाल में यह चुनाव पूर्वी से लड़ने की बात कर रहे और जन सम्पर्क भी उसी ढंग से बढ़ाये हुए हैं. उनके संकेतों से पता चल रहा कि भाजपा अपने क्षत्रपों के अहं, जमींदारी और एकाधिकार कायम करने की लड़ाई में फंस कर खेमाबाजी और देवतुल्य कार्यकर्त्ता जैसे शब्दों के स्वांग और ढोंग के आडम्बर में ढँक गयी है तो यह श्रेष्ठ मौका है जब वे अपनी बहुचर्चित एस पी वाली क्षमता और योग्यता को प्रदर्शित कर शहर को चमत्कृत कर सकें.लेकिन दल में ही उनका रास्ता निष्कंटक नहीं है।कांग्रेस के पूर्व जिलाअध्यक्ष विजय खां भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैँ। वे इस क्षेत्र में लगभग 30 बूथ कमिटियां गठित कर लेने का दावा करते हैँ। उन्हें डा अजय के विरोधी माने जाने वाले स्वास्थ मंत्री बन्ना गुप्ता का समर्थन प्राप्त है।
इस प्रकार कम से कम त्रि अथवा चतुष कोणीय मुकाबला साफ दिख रहा.

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