जमशेदपुर : दुर्गापूजा की जमशेदपुर में बहुत धूम रहती है लेकिन यहां के विभिन्न रिहायशी कॉलोनी कैंपसों की पूजा का माहौल अलग ही होता है. परिसर के अंदर तमाम निवासी मिलजुलकर काफी उत्साह के साथ पूजा मनाते हैं. अधिकांश लोग पूरे आयोजन में इतने लीन रहते हैं कि परिसर से बाहर जाने का किसी को मन ही नहीं करता. लेकिन पिछले दो साल के पूजा में वे मन मसोस कर रह जा रहे हैं. पिछले साल तो कोरोना की ऐसी मार पड़ी कि पूजा का आयोजन काफी फीका रहा. इस साल कोरोना भले तेजी से सामान्य हो गया हो लेकिन पूजा के ठीक पहले आये गाइडलाइन ने उन्हें निराश कर दिया. कॉलोनी कैंपसों में सामूहिक भोग का निवासी भरपूर उठाते हैं. चार-पांच दिनों तक सांझा चूल्हा जलता है और कॉलोनी परिसर के तमाम निवासी जिनकी संख्या 500 से 1000 से उपर तक रहती है, उसका आनंद उठाते हैं. जमशेदपुर में अनुमान के अनुसार 50 से अधिक ऐसी कॉलोनियां है, जहां निवासी सांझा चूल्हा का स्वाद लेते हैं ैं. लेकिन इस बार के गाइडलाइन में भोग के होम डिलीवरी के आदेश ने उन्हें निराश कर दिया है. आयोजकों के सामने परेशानी यह है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को घर-घर तक गाइडलाइन के अनुसार भोग कैसे पहुंचाया जाए.
कॉलोनियों में पांच दिन अलग-अलग किस्म के भोग तैयार किये जाते हैं. उनकी होम डिलीवरी व्यवहारिक रुप से संभव नहीं होती. लेकिन गाइडलाइन को देखते हुए उसकी व्यवस्था की गई है. कुछ आयोजकों का कहना है कि अच्छे तरीके से भोग को घर तक पहुंचाने में प्रति थाली 40 रुपये तक का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि पहले आयोजन समिति के लोग खुद कार सेवा में जुट जाते थे और लोगों को भोजन परोसते थे मगर अब सीमित समय में चार-पांच सौ या उससे अधिक थालियों में भोग तैयार करने के लिये अलग से वेटर रखने पड़े हैं. थाली की कीमत अलग चुकानी पड़ रही है. बावजूद उसके लोग पूजा आयोजन का भरपूर आनंद उठा रहे हैं.