किसी भी शहर के माहौल को बेहतर बनाये रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उस शहर के नागरिकों की ही होती है। शरारती तत्व किसी के हाथों में खेलते हैं। राजनीति करने वालों का अपना मकसद होता है। प्रशासनिक अधिकारी ड्यूटी बजाकर किसी दूसरे शहर नौकरी करने चले जाते हैं। झेलना तो हमें आपको ही पड़ेगा।
जमशेदपुर में माहौल खराब करने की जो कोशिश की गई वह बेहद खतरनाक है। जिन लोगों ने भी इस साजिश को अमलीजामा पहनाने का प्रयास किया है उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मामले को राजनीति के चश्मे से देखने के बजाय शहर के अमन चैन के साथ जोडक़र देखा जाना चाहिए। जमशेदपुर के इतिहास में यह पहला अवसर है ऐसे हालात पैदा होने पर पूरे जिले की इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। इसका असर यह हुआ कि मामला भडक़ा नहीं ।अफवाह फैलाने वालों को मौका नहीं मिल पाया ।उनके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए लेकिन दूसरा पक्ष यह रहा कि इस कारण लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया। सुबह स्कूल खुले लेकिन अभिभावकों के चेहरे के भाव साफ बता रहे थे कि वह अपने बच्चों को स्कूल में छोडऩे के बाद क्यों नहीं लौटना चाह रहे । ऐसा लग रहा था मानो उनको अपने इस निर्णय पर पछतावा हो रहा था। हर ओर सन्नाटा था ।एक अजीब सी गंध हवा में थी। सुबह-सुबह बहुतोंं को यह बात समझ में नहीं आई कि ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन जब स्कूल पहुंचे और पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी मिली तो वे सकते में आ गए। शहर में काफी कम वाहन की चल रहे थे। दुकान खुली तो थी मगर लोग नजर नहीं आ रहे थे। इंटरनेट सेवा बंद होने का प्रभाव कारोबार सहित आम जीवन पर बुरी तरह पड़ा । आन लाइन आफिस करने वालों से लेकर बच्चों की पढाई पर इसका प्रतिकूल असर पड़ा। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इंटरनेट बंद यानि जीवन बंद। जमशेदपुर को पहली बार इस स्थिति का सामना करना पड़ा। गनीमत रही कि शाम होते होते वह सेवा बहाल कर दी गई ।उम्मीद की जानी चाहिए कि जिला प्रशासन सख्ती के साथ ऐसे लोगों को सबक सिखाने का प्रयास करें ताकि वे कभी भविष्य में माहौल को खराब करने का दुस्साहस न कर सके। इस पक्ष और उस पक्ष की बात नहीं है, बात है शांति कायम करने की। प्रशासन के साथ-साथ प्रबुद्ध लोगों एवं आम लोगों की भी भूमिका इस दिशा में काफी अहम है।प्रशासन पर हमेशा से आरोप लगता रहा है कि वह ऐसे संवेदनशील मामलों में एकपक्षीय हो जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिये।