जमीन दलाल के हथकंडों का शिकार हो रही उत्तर प्रदेश संघ की डोबो गौरी गांव जमीन

सरायकेला।चांडिल थाना अंतर्गत गौरी गांव के आदिवासी भूमिज समाज के ग्रामीणों ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर डोबो पुल के निकट गौरी गांव में उत्तर प्रदेश संघ द्वारा खरीदी गई जमीन के मामले में जांच करा कर उस पर निर्माण कार्य रोकने की मांग की। गांव के दशरथ सिंह, भोला सिंह मुंडा, विमला सिंह सरदार, टुई सिंह, गोविंद सिंह, अजीत सिंह सरदार, उदय सिंह, राजू सरदार, रूप सिंह भूमिज, उदय सिंह, भक्त रंजन भूमिज, नयन सिंह, राजेश मुंडा, सोनू सरदार, प्रकाश सरदार, जय सिंह भूमिज एवं भेया लाल सरदार ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर बताया है कि मौजा गौरी के खाता संख्या 125, प्लाट संख्या 467, रकबा 2 एकड़ 15 डिसमिल, खाता संख्या 131, प्लॉट संख्या 496, रकबा 30 डिसमिल एवं खाता संख्या 34, प्लाट संख्या 505, रकबा 45 डिसमिल के साथ कुल रकबा 4 एकड़ 51 डिसमिल है। इसके मूल रैयत मोहन सिंह एवं मंगल सरदारिन के नाम खतियान में दर्ज है। इस दौरान जानकारी मिली कि बिष्टुपुर निवासी अतुल टंक एवं आदित्यपुर निवासी विजय राणा द्वारा उक्त जमीन को बिक्री नामा द्वारा अवैध रूप से अपना दावा किया जा रहा है। बीते 13 जुलाई को एक दैनिक समाचार में छपी खबर से जानकारी मिली कि उक्त वर्णित जमीन पर अतुल टंक विक्रेता के रूप में एवं विजय राणा क्रेता के रूप में अपना दावा प्रस्तुत करते हुए पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में उक्त जमीन पर जबरन निर्माण कार्य करने का प्रयास किया जा रहा था। मूल रैयत एवं स्थानीय लोगों के विरोध के कारण निर्माण कार्य को रोका गया है। उन्होंने बताया है कि उक्त जमीन आदिवासी रैयत मोहन सिंह एवं मंगल सरदार इनके नाम से है। इसे देखते हुए उन्होंने उपायुक्त से मांग की है कि स्थानीय प्रशासन से पूरे मामले की जांच कराते हुए उक्त कथित खरीदारों व विक्रेताओं से जमीन को मुक्त करा कर न्याय दिलाया जाए। ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, आदिवासी कल्याण मंत्री झारखंड सरकार, आदिवासी जनजाति कल्याण मंत्री भारत सरकार, आदिवासी जनजाति आयोग नई दिल्ली एवं इचागढ़ विधायक को भी भेजी गयी है।
इस संबंध में पता चला है कि अतुल टांक ने यह जमीन उत्तर प्रदेश संघ को दी है जहां संघ स्कूल भवन बनायेगा। इस संघ द्वारा जमशेदपुर में प्रसिद्ध मोती लाल नेहरू पब्लिक स्कूल चलाया जाता है जिसे श्रेष्ठ शिक्षण के लिए राष्ट्रपति पुरष्कार भी मिला है। बताया जाता है कि इस मामले में जमीन की खरीद बिक्री करने वाले एक बिचौलिए की नकारात्मक भूमिका है । उसे उम्मीद थी कि उत्तर प्रदेश संघ उसके जरिये अतुल टांक से जमीन की खरीद करेगा जिसमे उसको एक मोटी रकम बतौर कमीशन मिल सकती थी। काल क्रम में दोनों पार्टियों ने आपस में डील की जिसमें संघ को रेट का अंतर मिला । दलाल ने ऊंची दर बतायी थी। वास्तविक दर और दलाल द्वारा बतायी गयी दर में लगभग 50 लाख का अंतर था। दलाल यह नुकसान पचा नहीं पा रहा और दखल रोकने के लिए तरह तरह के हथकंडे अख्तियार करता है। कभी किसी विधायक को आगे करता है तो कभी किसी रैयत को आगे करके इस सौदे का सर्वनाश चाहता है। भोले भाले ग्रामीणों को अब आगे किया है। यह मामला विधान सभा में भी उठाया गया था। सरकार ने जांच में हरी झंडी दी। उसके बाद ही प्रशासन ने उस दिन एहतियाती व्यवस्था की थी।

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