ट्रेनों से ‘स्पेशल’ हटा,फिर पुराने किराए पर चलेंगी 1700 ट्रेन, बंद होगा जनरल टिकट, जानें रेलवे के फैसले से क्या-क्या बदल गया

नई दिल्ली
भारतीय रेल ने किराए में बढ़ोतरी पर यात्रियों के दबाव का सामना करने के बाद मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए ‘स्पेशल’ टैग हटाने का फैसला किया है। आदेश में साफ किया है कि कोरोना वायरस महामारी से पहले के किराए पर तत्काल प्रभाव से लौटने का एक आदेश जारी किया है।

ट्रेन के टिकट में कमी
अब जब ये नई व्यवस्था लागू हो जाएगी जो किराए में लगभग 30 फीसदी तक कम हो जाएंगे। किराए में आने वाली कमी से टिकट कितने रुपए तक सस्ता होगा? यह समझने के लिए हम वैशाली एक्सप्रेस को ले लेते हैं। इस गाड़ी का स्लीपर, थर्ड एसी और सेकेंड एसी का मौजूदा किराया क्रमशः 540, 1420 और 2020 रुपए है, जबकि नई व्यवस्था में यही किराया क्रमशः 515, 1350 और 1950 रुपए हो जाएगा। इसी तरह मिथिला और पूर्वांचल एक्सप्रेस की बात करें तो उसमें स्लीपर, थर्ड एसी और सेकेंड एसी के लिए अभी यात्रियों को क्रमशः 425, 1160 और 1645 रुपए देने होते हैं, मगर कटौती के बाद यह रेट क्रमशः 330, 895 और 1280 हो जाएगा।

1- रेलवे बोर्ड ने शुक्रवार को जोनल रेलवे को लिखे पत्र में कहा कि ट्रेनें अब अपने नियमित नंबर के साथ परिचालित की जाएंगी और किराया कोविड पूर्व दर जैसा सामान्य हो जाएगा।
2- बोर्ड के 12 नवंबर की तारीख वाले आदेश में कहा गया है, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सभी नियमित मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें एमएसपीसी (मेल/एक्सप्रेस स्पेशल) और एचएसपी (होलीडे स्पेशल) के रूप में चलाई जा रही है।
3- अब यह फैसला किया गया है कि वर्किंग टाइम टेबल, 2021 में शामिल सहित एमएसपीसी और एचएसपी ट्रेन सेवाएं नियमित नंबर के साथ परिचालित की जाएगी और किराया दिशानिर्देशों के मुताबिक, यात्रा के लिए संबद्ध वर्ग व ट्रेन के प्रकार पर आधारित होगा।
4- जोनल रेलवे को निर्देश जारी किया गया है। हालांकि, तत्काल प्रभाव से जारी आदेश की तामील में एक या दो दिन लग सकता है।
5- अगले कुछ दिनों में 1,700 से अधिक ट्रेनें बहाल की जाएंगी। ट्रेन नंबर का पहला अंक शून्य (जीरो) नहीं होगा जैसा कि स्पेशल ट्रेनों के मामले में था।
6- कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लगाये गये प्रतिबंध प्रभावी रहेंगे, जैसे कि रियायत, बेड रोल (बिस्तर) और भोजन सेवाएं आदि पर पर अस्थायी प्रतिबंध जारी रहेगा।
7- विशष ट्रेनों के परिचालन और किराये में रियायत नहीं देने से रेलवे के राजस्व में भी काफी वृद्धि देखी गई है। रेलवे ने यात्री मद से 2021-2022 की दूसरी तिमाही के दौरान पहली तिमाही की तुलना में 113 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है।

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