न्यूयॉर्क : अशांत शिंजियांग प्रांत में लाखों मुसलमानों को हिरासत में रखने के लक्ष्य से चीन द्वारा गोपनीय तरीके से बनाए गए जेल और अन्य भवनों के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने वाली खबरें लिखने वाली भारतीय मूल की पत्रकार मेघा राजगोपालन और दो अन्य पत्रकारों को इनोवेटिव इंवेस्टिगेटिव पत्रकारिता के लिए पुलित्जर पुरस्कार दिया गया है।
बजफीड न्यूज की पत्रकार राजगोपालन भारतीय मूल की उन दो पत्रकारों में से एक हैं जिन्हें शुक्रवार को अमेरिका का शीर्ष पत्रकारिता पुरस्कार दिया गया। टम्पा बे टाइम्स के नील बेदी को स्थानीय रिपोर्टिंग के लिए यह पुरस्कार दिया गया। बेदी और कैथलीन मैकग्रॉरी ने भविष्य के संदिग्ध अपराधियों की पहचान करने के लिए कंप्यूटर मॉडलिंग का उपयोग करने के शेरीफ कार्यालय के कदम के संबंध में खबर लिखने के लिए पुरस्कृत किया गया है। शेरीफ कार्यालय इस योजना के तहत बच्चों
सहित करीब 1,000 लोगों की निगरानी कर रहा था
सैटेलाइट तस्वीरों का एनालिसिस कर रिपोर्ट तैयार की
मेघा की रिपोर्ट्स से पता चला था कि चीन ने उइगर मुस्लिमों को यातना शिविरों में कैद करके रखा है। इसका खुलासा करने के लिए मेघा ने सैटेलाइट तस्वीरों का एनालिसिस किया था। उन्होंने इसके लिए एक बड़ा डेटाबेस तैयार किया था। साथ ही उन पीड़ितों के इंटरव्यू भी लिए थे जो चीन के कैंपों से भागकर कजाकिस्तान पहुंच गए थे। मेघा चीन में ही उइगर मुस्लिमों के इंटरव्यू लेना चाहती थीं, लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली। इसलिए उन्होंने कजाकिस्तान पहुंचे लोगों से बात की थी।
मेघा के साथ ही भारतीय मूल के एक और पत्रकार नील बेदी को भी पुलित्जर अवॉर्ड मिला है। बेदी ने फ्लोरिडा में सरकारी अधिकारियों के बच्चों की तस्करी को लेकर टेंपा बे टाइम्स के लिए इंवेस्टिगेशन की थी। उन्हें स्थानीय रिपोर्टिंग कैटेगरी में अवॉर्ड दिया गया है।
जॉर्ज फ्लॉयड मामले में वीडियो बनाने वाली लड़की को अवॉर्ड
अमेरिका के मिनेपोलिस में पिछले साल 25 मई को अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड को एक पुलिस अफसर ने गला दबाकर मार दिया था। पुलिस अफसर की इस हरकत को 17 साल की अश्वेत लड़की डेरनेला फ्रेजियर ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था। बाद में यह वायरल हुआ और अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया गया था। अब फ्रेजियर को उनकी इस बहादुरी के लिए स्पेशल पुलित्जर अवॉर्ड देने का
ऐलान किया गया है।