ट्रैक्टर रैली में किसान की मौत को पुलिस की गोली से मौत बताना राजदीप सरदेसाई को पड़ा महंगा, इंडिया डूडे ने हटाया

गणतंत्र दिवस वाले दिन तिरंगे में लिपटी मृतक की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उसकी मौत पुलिस की गोली से होना बताया था

new delhi 28 january
बहुत पुरानी कहावत है तोल, मोल के बोल। इंसान के कहे गए प्रत्येक बोल का मोल होता है। अत: व्यय तोलकर ही करना सही रहता है। बोल सस्ते भी होते हैं और महंगे भी, लेकिन नि:शुल्क तो कतई नहीं होते हैं। पत्रकारिता जगत में एक नाम है राजदीप सरदेसाई का, जिनके पत्रकारिता अनुभव को करीब चार दशक का बताया जाता है। लेकिन पत्रकारिता का मूल सिद्धांत होता है कि किसी भी सूत्र के हवाले से कोई खबर आए और खबर बेहद ही संवेदनशील भी हो तो ऐसी स्थिति में उसे जांचे-परखें बगैर चलाना गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता कहलाता है। पत्रकारिता में फैक्ट को क्रास चेक करना एक पत्रकार के पेश का अहम हिस्सा है। लेकिन चार दशक के अनुभव वाले पत्रकार ने गणतंत्र दिवस वाले दिन तिरंगे में लिपटी मृतक की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उसकी मौत पुलिस की गोली से होना बताया था। लेकिन उसकी हकीकत कुछ और ही थी। उस व्यक्ति की ट्रैक्टर पलटने की वजह से मौत हुई थी। अब जो ताजा खबर सामने आई है कि इंडिया टुडे ग्रुप के प्रबंधन ने सारे मामले पर बड़ा एक्शन लिया है। वायर की खबर के अनुसार इंडिया टुडे ने सीनियर एंकर और कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को दो हफ्ते के लिए ऑफ एयर कर दिया है। इसके साथ ही उनके एक महीने की सैलरी काटे जाने की भी खबर है। प्रबंधन की ओर से राजदीप सरदेसाई के ट्वीट्स को ग्रुप की सोशल मीडिया पाॅलिसी से अलग माना है। इसलिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।

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