जमशेदपुर, 16 फरवरी : झारखंड उच्च न्यायालय रांची ने गत 10 फरवरी को इंडो डेनिस टूल रूम के पदाधिकारी आशुतोष कुमार की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने सीबीआई के विशेष जज द्वारा गत 25 सितंबर 2020 को पारित आदेश को चुनौती देते हुए प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी. यह मांग दंप्रसं 482 के तहत मांग की गई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने मानने से इंकार कर दिया. यह मामला सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी संख्या आरसी-17 (ए), 2016 तथा रेगुलर केस आरसी 17 (ए), 2016 से जुड़ा है. आवेदक के अधिवक्ता नमित कुमार ने बताया कि इंडो डेनिस टूल रुम में एक अप्रैल, 2007 से 17 अक्टूबर, 2016 तक के कार्यकाल के दौरान आशुतोष कुमार द्वारा लगभग दो करोड़ रुपये की ज्ञात स्त्रोतों से अधिक अर्जित करने का आरोप लगाया गया है. इस याचिका में दूसरे आवेदक चयनिका कुमारी हैं, जो आशुतोष कुमार की पत्नी हैं. उनपर आरोप है कि उन्होंने आशुतोष कुमार को इस तरह धनोपार्जन के लिये उत्साहित किया. अधिवक्ता ने बताया कि स्पेशल कोर्ट ने 19 अगस्त, 2020 को अनुसंधान में पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर मामले में संज्ञान ले लिया. इसबीच इनपर सुनवाई के लिये 11 सितंबर, 2020 की तिथि तय की गई और सम्मन जारी किया गया. आवेदकों ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष 9 सितंबर और 10 सितंबर को अग्रिम जमानत के लिये आवेदन दिया. लेकिन अस्वस्थ्यता की वजह से आवेदकों ने समय लिया और पुन: 22 सितंबर को सुनवाई की गई जब ट्रायल कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया. इस दौरान उनपर अदालत की कार्रवाई में अनुपस्थित रहने का भी आरोप लगाया गया लेकिन उसके लिये भी अधिवक्ता ने कारण बताये. इसके बाद 25 सितंबर को आवेदकों के खिलाफ गैर जमानतीय गिरफ्तारी वारंट निर्गत किया गया. अधिवक्ता ने कहा कि गिरफ्तारी वारंट तकनिकी तरीके से जारी कर दिया गया, जबकि इसमें कानून के स्थापित नियमों का पालन नहीं करते हुए न्यायपूर्ण विचार नहीं किया गया. सीबीआई अधिवक्ता ने कहा कि जिन आधारों पर इसे रद्द करने की मांग की जा रही है, वह इसपर प्रभावी नहीं होता. अभियुक्तों को समन की जानकारी थी फिर भी जब वे कोर्ट में हाजिर नहीं हुए तो कोर्ट को वारंट निर्गत करना पड़ा. उच्च न्यायालय ने सीबीआई के तर्कों पर सहमति जताते हुए आवेदकों की याचिका खारिज कर दी.