जमशेदपुर 13 अक्टूबर
आपके जूते ,चप्पल के सोल आपके द्वारा बनाए गए चित्र आदि से आपके व्यक्तित्व, स्वभाव की पहचान की जा सकती है। इस विधा में तेजी से आगे बढ़ रही है एक उभरती हुई साइकोलॉजिकल काउंसलर डॉक्टर श्रद्धा वर्मा वे इन बारीकियों का अध्ययन कर किसी के व्यक्तित्व की पहचान करने में निपुणता हासिल कर रही है। इस आधार पर वह संबंधित व्यक्ति की काउंसलिंग कर उनको आवश्यक दिशा निर्देश भी देती हंै। आम आदमी जो फूटवियर ( जूते- चप्पल) का इस्तेमाल करते हैं उसके सोल से यह पता चल जाता है कि उसका व्यक्तित्व किस तरह का है, उसका माइंडसेट कैसा है? इस आधार पर उस व्यक्ति की काउंसलिंग की जाती है। नेताजी सुभास यूनिवर्सिटी जमशेदपुर में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत रांची निवासी श्रद्धा वर्मा इस क्षेत्र में महारथ हासिल करने वाले डॉक्टर किशोर ओजा की देखरेख में अपनी इस विधा को आगे बढ़ा रही हैं।
डा श्रद्धा वर्मा कहती है कि आप जो चित्र बनाते हैं उससे आपके बचपन, जीवन के प्रति आपके अप्रोच एवं पब्लिक इमेज सभी का पता चलता है ।उनका कहना है कि आप जैसा वृक्ष चित्रित करेंगे उस आधार पर आपके व्यक्तित्व का पता चल जाता है और उसी आधार पर काउंसलिंग की जा सकती है। उस व्यक्ति की क्या समस्या है और उसका क्या समाधान हो सकता है, उसका निराकरण किया जा सकता है। इसके अलावे जूते-चप्पल पहनने के तरीके से भी बहुत कुछ पता चलता है। फुटवियर का सोल किस दिशा में अधिक घिस रहा है, कौन सा ऐसा क्षेत्र है जिसका उपयोग आप काम कर रहे है,इन सबका यह सब आपके व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। अगर उनके तरीके में थोड़ा सा भी बदलाव किया जाए तो व्यक्त्वि में अंतर साफ तौर पर देखने को मिलता है। डॉ श्रद्धा वर्मा का कहना है कि यह पाया जाता है कि जिस व्यक्ति की काउंसलिंग की जाती है उसके चित्र बनाने का तरीका भी कुछ समय के बाद बदल जाता है। उसके जूते-चप्पल पहनने का तरीका भी बदल जाता है। उनका कहता है कि लोग अपनी समस्याओं को बताते हैं फिर हम उसे आधार पर उनका समाधान बताते हैं।
डॉ किशोर ओजा शहर के कई कालेजों में अपनी सेवा दे चुके हैं, इस समय वे जो एन एस नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, ने कहा कि जब उन्होंने श्रद्धा को पहली बार देखा तो अहसास हुआ कि इसमें वह सारे गुण हैं जो उन्हें अच्छा काउंसलर बन सकता है। उन्होंने कहा कि एक साथी महिला प्रोफेसर द्वारा बनाए पेड़ के चित्र को जब श्रद्धा को उन्होंने दिखाया तो श्रद्धा ने इसका आकलन करने के बाद यह बता दिया कि वह चित्र किसने बनाया है । उसके बाद उन्होंने श्रद्धा को इस क्षेत्र में आगे बढऩा शुरू किया। श्रद्धा का कहना है कि हैंडराइटिंग से भी किसी व्यक्तित्व की छवि दिखती है। डा श्रद्धा ने सेंट फ्रांसिस स्कूल रांची और सेंट जेवियर्स कालेज रांची से पढाई की और रांची विवि से पीएचडी की उपाधि पाई। गिरिडीह और रायपुर में योगदान देने के बाद उन्होंने नेताजी यूनिवर्सिटी जमशेदपुर ज्वाइन की।
डॉ किशोर ओजा कहते हैं कि किसी व्यक्ति का जन्म किन हालात में हुआ इसका गहरा प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर पड़ता है। माता-पिता जन्म देने के समय किस मानसिक दशा में होते हैं यह सबसे अधिक असर डालता है। डॉ. किशोर कहते हैं कि बिल्कुल कप की आकार की तरह व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है ।कप का आकार जितना बड़ा होगा उससे ज्यादा कुछ उसमें है नहीं सकता। यह व्यक्तियों पर भी लागू है। यदि किसी का बचपन एक खास माइंडसेट से गुजरा हुआ हो तो फिर उसमें बहुत अधिक बदलाव नहीं आता है। ऐसे ही समय में काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है। चलने के तरीके से भी उसके जीवन पर बड़ा असर पड़ता है। इन सब का स्वास्थ्य पर भी सीधा असर देखा जाता है। उनका कहना है कि लोग इसके लिये साइक्रैटिस्ट के पास जाते हैं और वहां दवा की लंबी लिस्ट पकड़ा दी जाती है, जबकि इसका इलाज आपके वरताव में अंतर लाकर किया जा सकता है बिना दवा के। किसी व्यक्ति का किस तरीके से ट्रीटमेंट शुरू होता है इसके बारे में उसे पता भी नहीं चलता। हम उसकी कुछ आदतों की पहचान करने मात्र से यह पता लगा लेते हैं कि उसमें क्या करने से उसका व्यक्तित्व और बेहतर हो सकता है। डा. किशोर ओजा इस क्षेत्र में देश-विदेश में काउंसलिंग करते हैं। विदेश से भी उनके कई क्लाइंट हैं। उनकी इस क्षेत्र में कई पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी हैं। अभी हाल ही झारखंड बॉल बैडमिंटन टीम के खिलाडिय़ों को उन्होंने काउंसलिंग की थी । संघ उनसे इतना प्रभावित हुआ कि उन्हें अपने साइकोलॉजिकल काउंसलर के रूप में उन्हें नामित किया है।