लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली सांसद राहुल गांधी प्रयागराज दौरे के दौरान संविधान का सम्मान और उसकी रक्षा कार्यक्रम
में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने सबसे पहले सुल्तानपुर के मोची रामचैत की कहानी सुनाई, जिनसे उन्होंने मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर जाति जनगणना की बात दोहराई. उन्होंने कहा कि जाति जनगणन से सिर्फ आबादी का पता सकेगा और हम ये जानना चाहते हैं कि किस चीज किन-किन लोगों की कितनी भागेदार है. उन्होंने कहा कि इसके लिए जाति जनगणना करानी पड़ेगी.
इस सम्मेलन में सांसद राहुल गांधी ने कहा, “मैंने मिस इंडिया की लिस्ट निकाली. मुझे लगा इसमें तो एक दलित, आदिवासी महिला तो होगी, लेकिन नहीं उस लिस्ट में न दलित है, न आदिवासी है, न ओबीसी है.”
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “90 फीसदी लोग सिस्टम का हिस्सा नहीं हैं. अल्पसंख्यक भी इसी में आते हैं. उनके पास हर तरह की प्रतिभा मौजूद है, लेकिन फिर भी वे सिस्टम से जुड़े नहीं हैं. यही कारण है कि हम जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं. बीजेपी कह रही है कि वे जाति जनगणना कराएंगे और इसमें ओबीसी वर्ग को शामिल करेंगे. पहली बात तो यह कि जातिगत जनगणना में ओबीसी का जिक्र करना ही काफी नहीं है.”
कांग्रेस सांसद ने कहा, “हमारे लिए जाति जनगणना सिर्फ जनगणना नहीं है, यह नीति निर्माण का आधार है. यह समझना भी जरूरी है कि धन का वितरण कैसे हो रहा है. यह पता लगाना भी जरूरी है कि नौकरशाही, न्यायपालिका, मीडिया में ओबीसी, दलितों, श्रमिकों की भागीदारी कितनी है.”
उन्होंने कहा भारत में स्किल की कोई कमी नहीं है. हर जिले में सर्टिफिकेशन सेंटर खुलना चाहिए, स्किल के नेटवर्क का बेहतरीन प्रयोग होना चाहिए. कामगारों से सिस्टम कोई बात ही नहीं करता, भारत के सुपर पावर बनने का झूठा दावा किया जाता है. 90 फीसदी लोगों को सिस्टम से जोड़ा ही नहीं जाता, जाति जनगणना बेहद जरूरी है.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि हर वर्ग की संख्या का सही पता चलना ही चाहिए, जाति जनगणना से सिर्फ आबादी पता चलेगी. इसमें किसी को विरोध नहीं करना चाहिए, भागीदारी से पहले आबादी का पता होना ही चाहिए, हमारी सोच है कि हिंदुस्तान में धन किस तरह से बांटा जा रहा है. किन-किन वर्गों के हाथ में कितना धन जा रहा है, इसका पता होना चाहिए. प्रमुख जगहों पर अलग-अलग वर्गों के लोगों की भागीदारी के बारे में पता चलना चाहिए, यह जानना चाहते हैं कि संविधान का समाज पर कितना असर पड़ा है.
उन्होंने कहा कि भारत के 500 प्रमुख उद्योगपतियों में एक भी रिजर्व कैटेगरी का नहीं है, कोई भी ओबीसी – दलित और आदिवासी नहीं है. मीडिया में भी प्रमुख पदों पर आरक्षित वर्ग को जगह नहीं दी जाती है, देश में 73% आबादी दलितों पिछड़ों और आदिवासियों की है. भारत की रियल स्थिति पर पॉलिसी तय होनी चाहिए, जाति जनगणना हमारे लिए पॉलिसी फ्रेमवर्क है.