वृक्ष के तना समान है सनातन, अन्य धर्म इसी की उत्पत्ति : मिशेल साइमन

जमशेदपुर, 30 दिसंबर (रिपोर्टर) : ब्रह्माकुमरीज से जुड़े मूल रुप से पेरिस (फ्रांस) के निवासी बीके मिशेल साइमन ने कहा कि भारत आध्यात्मिक गुरु रहा है. यह एक पेड़ के समान है, जिसका तना सनातन धर्म है. अन्य धर्म इसी से निकले हंै. इसलिये सनातन धर्म आज भी अपने कर्तव्य पथ पर गतिमान है. संस्था के प्रचार-प्रसार में शहर पहुंचे श्री साइमन आज ब्रह्माकुमारीज के बिष्टुपुर सेंटर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.संवाददाता सम्मेलन में संजू बहन, दिलीप भाई, जया बहन भी मौजूद थीं।
उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि भारत से ही सभी धर्मों की उत्पत्ति हुई है और भगवान भी एक ही है और वह है महादेव शिव. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारत मजबूत था ही, अब तकनिकी रुप से भी भारत दक्ष हो रहा है. इसलिये यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत फिर से सोने की चिडिय़ा बनेगा. आध्यात्म पर भी उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदरुनी शक्तियां ही असली गुण व श्रृंगार है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण है, जिसमें सनातन धर्म श्रेष्ठ सिद्ध हो चुके हैं तथा सनातन धर्म से ही अन्य धर्मों की उत्पत्ति मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि यीशु मसीह 14 से 30 वर्ष की उम्र तक कहां थे, यह किसी को नहीं मालूम. जानकार बताते हैं कि इस दौरान वे भारत आये थे और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया. उन्होंने भगवान कृष्ण को ही अपना आराध्य माना, इसलिये अपने धर्म के अनुसार उन्होंने अपना नाम भी भगवान कृष्ण के नाम पर ‘क्राइस्ट’ रखा.

अबतक 71 देशों का भ्रमण कर चुके हैं साइमन
मिशेल साइमन का जन्म 15 मार्च 1956 को पेरिस (फ्रांस) में हुआ था. उन्होंने उच्च माध्यमिक तक गणित और विज्ञान का अध्ययन किया. 19 साल की उम्र में सितम्बर 1975 से मई 1978 तक उन्होंने 3 महाद्वीपों- अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप की यात्रा की. वे अबतक दुनिया के 71 देशों का दौरा कर चुके हैं. वर्ष 2003 से वे ब्रह्माकुमारीज के सर्बिया देश के कार्यभार भी सम्भाल रहे हैं. वे अंग्रेजी, स्पेनिश एवं फ्रेंच भाषाएं धाराप्रवाह बोलते हैं, एवं कुछ सर्बियाई भाषाएं समझते भी हैं. मई, 1978 में वे लंदन में ब्रह्माकुमारीज के संपर्क में आये, लंदन सेवाकेन्द्र पर राजयोग का प्रशिक्षण प्राप्त किया. 1980 से 2000 तक 20 वर्षों तक उन्होंने राजयोग सिखाया, सभी प्रकार के आध्यत्मिक विषयों पर क्लासेज़, व्याख्यान, संगोष्ठी और कार्यशालाएं दीं. बीच में 10 वर्षों के लिए उन्होंने प्रशासनिक सचिव के रूप में पेटेंट कार्यालय के राष्ट्रीय संघ में भी काम किया.

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