काबुल 29 nov
पाकिस्तान की विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार मंगलवार को अफगानिस्तान पहुंचीं। उनके साथ फॉरेन और डिफेंस मिनिस्ट्री के अफसरों का एक डेलिगेशन भी था। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच करीब 6 महीने से सीमा पर जबरदस्त तनाव चल रहा है। पिछले दिनों तालिबान की फायरिंग में 6 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। इस तनाव को कम करने के लिए हिना रब्बानी खार मंगलवार को अफगानिस्तान पहुंचीं।
खास बात यह है कि महिलाओं को चारदीवारी और हिजाब में कैद रखने की हिमायती तालिबान हुकूमत के अफसर जब काबुल एयरपोर्ट पर हिना को रिसीव करने पहुंचे तो वो अपने पुराने ग्लैमरस अंदाज में थीं। हिजाब पहनना तो दूर उन्होंने सिर पर दुपट्टा भी नहीं डाला था।
पहले विवाद जान लीजिए
पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक सीमा के जरिए अलग होते हैं। इसे डूरंड लाइन कहा जाता है। पाकिस्तान इसे बाउंड्री लाइन मानता है, लेकिन तालिबान का साफ कहना है कि पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा राज्य उसका ही हिस्सा है। पाकिस्तानी सेना ने यहां कांटेदार तार से फेंसिंग की है।
15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान की सल्तनत पर तालिबान का कब्जा हो गया। उसने 5 दिन बाद ही यानी 20 अगस्त को साफ कर दिया कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान का हिस्सा खाली करना होगा, क्योंकि तालिबान डूरंड लाइन को नहीं मानता।
पाकिस्तान ने इसका विरोध किया और वहां फौज तैनात कर दी। इसके बाद तालिबान ने वहां मौजूद पाकिस्तानी चेक पोस्ट्स को उड़ा दिया। इस इलाके में कई पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं और कई तालिबान के कब्जे में हैं। पिछले हफ्ते ही तालिबान की फायरिंग में 6 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।
तालिबान के दो मुख्य धड़े हैं। पहला : अफगान तालिबान। ये अफगानिस्तान की सरकार चला रहा है। दूसरा : तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जिसे आम बोलचाल में TTP कहा जाता है।
पाकिस्तान में होने वाले 90% आतंकी हमले TTP ही करता है। ये वहां अफगानिस्तान की तर्ज पर शरिया कानून लागू करना चाहता है। पाकिस्तानी फौज को सबसे बड़ा दुश्मन मानता है।
अब हिना की विजिट का मकसद समझिए
पाकिस्तान सरकार हर कीमत पर अफगानिस्तान सीमा पर अमन चाहती है। इसकी वजह यह है कि भारत के साथ उसका तनाव है। ईरान बॉर्डर पर भी आए दिन फायरिंग होती है। अगर अफगान सीमा पर भी हमले होते रहे तो मुल्क की सुरक्षा करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
यह मुश्किल इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि पाकिस्तान बिल्कुल दिवालिया होने की कगार पर है। उसके फॉरेन डिपॉजिट (फॉरेक्स रिजर्व) महज 7.96 अरब डॉलर हैं। ये पैसा भी चीन, सऊदी अरब और UAE का गारंटी डिपॉजिट है। इसे शाहबाज शरीफ सरकार खर्च नहीं करती। तीनों ही देश 36 घंटे के नोटिस पर यह अमाउंट वापस ले सकते हैं।
जाहिर है, बिना पैसे के मुल्क की हिफाजत नहीं की जा सकती। पिछले दिनों IMF ने पाकिस्तान की डिफॉल्ट प्रॉबेबिलिटी (दिवालिया होने की आशंका) 79% बताई थी। इसके बाद से वहां की फौज और सरकार सकते में हैं।