‘मामला गृह रक्षा वाहिनी में कंपनी कमांडरों की बहाली का’
रांची: हाईकोर्ट में भी झूठे दावे पेश करने से शीर्ष अधिकारी नहीं हिचकते. मामला हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद गृह रक्षा वाहिनी में 24 कंपनी कमांडर को बहाल नहीं किए जाने से संबंधित है. इनकी बहाली भी नहीं हुई और गत माह 4 जनवरी 2021 को ही तत्कालीन डीजीपी एमवी राव ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर बता दिया कि हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो चुका है, जबकि हकीकत यह है कि सभी कंपनी कमांडर अब भी सड़क पर हैं और बहाली की सुगबुगाहट तक नहीं है। हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के बजाय गृह रक्षा वाहिनी वरिष्ठ पदाधिकारियों से मार्गदर्शन ही मांग रही है। बिना बहाल किए अदालत को यह बता देना कि आदेश का अनुपालन हो गया, चर्चा का विषय बना हुआ है।
बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद पहली बार 2008 में विज्ञापन प्रकाशित कर दारोगा, कंपनी कमांडर व सार्जेंट के पद पर बहाली हुई थी। वर्ष 2012 में कुल 384 अभ्यर्थियों की बहाली हुई थी। सभी चयनित अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण पूरा किया और नौकरी में बहाल भी हो गए। वर्ष 2014 में कुल 24 कंपनी कमांडर व 15 सार्जेंट की नियुक्ति को नियम विरुद्ध बताते हुए बर्खास्त कर दिया गया था। बताया गया था कि जिनका प्राप्तांक अधिक था, वे प्राथमिकता के आधार पर मेधा सूची में
नीचे आ गए थे।
विवाद होने पर सेवा से हटाए गए सफल अभ्यर्थियों ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उनके तर्क को सही पाया, जिसके बाद सरकार को आदेश दिया कि इन्हें नौकरी पर बहाल करें। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद सभी 42 अभ्यर्थी जब बहाल नहीं किए गए तो हाई कोर्ट में पीडि़त पक्ष ने अवमानना का केस किया। अवमानना मामले में हाई कोर्ट की सख्ती के बाद डीजीपी ने सभी 42 अभ्यर्थियों को बहाल करने पर सहमति दी थी। आदेश के आलोक में सशर्त सभी 15 सार्जेंट बहाल हो गए, लेकिन कंपनी कमांडर की बहाली अब तक नहीं हो सकी। अलबत्ता इसी बीच तत्कालीन डीजीपी ने हाई कोर्ट को बता दिया कि सभी बहाल कर दिए गए।
‘सुप्रीम कोर्ट में भी खारिज हो चुका है सरकार का एसएलपी’
सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने एसएलपी दायर कर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। तीन दिन पहले ही 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देकर हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट को भी यही बताया गया कि हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में 39 बर्खास्त अभ्यर्थियों को पुन: बहाल कर लिया गया है। जिनमें 15 सार्जेंट व 24 कंपनी कमांडर शामिल हैं। हकीकत यह है कि कंपनी कमांडर अब तक बहाल नहीं किए गए हैं।