पेगासस विवाद से मैसेजिंग कंपनियां अलर्ट:वॉट्सऐप के CEO ने साइबर सिक्योरिटी के लिए वेकअप कॉल बताया, कहा- मोबाइल को पूरी तरह सुरक्षित बनाना जरूरी


वॉशिंगटन
बड़े स्तर पर हैकिंग और जासूसी के आरोप लगने के बाद पेगासस स्पायवेयर एक बार फिर विवादों में है। रविवार को आई एक रिपोर्ट के बाद सोमवार को इस मुद्दे पर भारत की संसद से लेकर दुनिया भर में हंगामा मच रहा है। इस रिपोर्ट ने साइबर सिक्योरिटी पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है। इस स्पायवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है।
वॉट्सऐप के CEO विल कैथकार्ट ने इस पूरे मामले को साइबर सिक्योरिटी के लिए वेकअप कॉल बताया है। कैथकार्ट ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मोबाइल फोन अरबों लोगों के लिए प्राइमरी कंप्यूटर हैं। सरकारों और कंपनियों को इन्हें जितना हो सके सुरक्षित बनाने के लिए पूरी कोशिश करनी चाहिए। हमारी सिक्योरिटी और फ्रीडम इसी पर टिकी है।
2019 में वॉट्सऐप ने उठाई थी आवाज
कैथकार्ट ने माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, सिस्को समेत उन कंपनियों को शुक्रिया कहा है, जिन्होंने स्पाइवेयर फर्मों के खतरों के खिलाफ आवाज उठाई है। गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट का हवाला देकर उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि हम और दूसरे लोग कई साल से क्या कह रहे हैं। NSO के खतरनाक स्पायवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर में मानवाधिकारों के हनन के लिए किया जाता है। इसे रोका जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि वॉट्सऐप को 2019 में NSO की इसी तरह की हरकतों का पता चला था। तब कंपनी ने इससे मुकाबला किया था। तभी से कंपनी इसके खिलाफ आवाज उठा रही है। तब वॉटसऐप ने कहा था कि पेगासस के जरिए करीब 1400 पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अकाउंट की जानकारी उनके फोन से हैक की गई थी।

फोन को हैक कर लेता है पेगासस
पेगासस एक स्पायवेयर है। स्पायवेयर यानी जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है।

2016 में पहली बार सुर्खियों में आया

पेगासस सबसे पहले 2016 में सुर्खियों में आया था। तब UAE के ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट अहमद मंसूर को अनजान नंबर से कई SMS मिले थे। इनमें कई लिंक भेजी गई थीं। अहमद को इन मैसेज को लेकर शक हुआ तो उन्होंने साइबर एक्सपर्ट्स से इनकी जांच करवाई। पता चला कि अहमद मैसेज में भेजी लिंक पर क्लिक करते तो उनके फोन में पेगासस डाउनलोड हो जाता।
2 अक्टूबर 2018 को सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या हो गई थी। इस हत्याकांड की जांच में भी पेगासस का नाम सामने आया था। जांच एजेंसियों ने शक जताया था कि जमाल खशोगी की हत्या से पहले उनकी जासूसी की गई थी।
2019 में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में इसका मुद्दा उठाया था। उन्होंने सरकार पर कई आरोप भी लगाए थे। इसके अलावा मैक्सिको सरकार पर भी इस स्पायवेयर को गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं।

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