new delhi 20 may सुप्रीम कोर्ट में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर शुक्रवार को सुनवाई हुई. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां ‘शिवलिंग’ मिलने की बात कही गई है, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. साथ ही मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी. वहीं आज सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए इसे वाराणसी जिला कोर्ट को भेज दिया है. अब मुकदमे से जुड़े सभी मामले जिला जज ही देखेंगे. आठ हफ्ते तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को 8 हफ्ते का अंतरिम आदेश जारी किया था.
आज सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम निर्देश दे सकते हैं कि निचली अदालत प्रतिवादी के आवेदन का निपटारा करे. तब तक हमारा अंतरिम आदेश जारी रहे और तीसरी बात हम यह कहना चाहते हैं कि मामले की जटिलता को देखते हुए इसे जिला जज को भेजा जाए. मुस्लिम पक्ष चाह रहा है कि सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत के सारे फैसले खारिज कर दे. सुनवाई के दौरान हिन्दू-मुस्लिम पक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली.
आज सुनवाई के दौरान क्या बहस हुई, और किसने क्या कहा? यहां पढ़िए
वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन- मैं निचली अदालत के एक याचिकाकर्ता के लिए पेश हुआ हूं.
जज- इस अंतरिम व्यवस्था से सभी पक्षों के हित सुरक्षित रहेंगे.
वैद्यनाथन- अब स्थितियां बदल चुकी हैं. रिपोर्ट आ चुकी है.
जज- इसलिए हम जिला जज को मामला भेजना चाहते हैं. उनको 25 साल का अनुभव है.
जज- हम आदेश नहीं देंगे कि जिला जज किस तरह काम करें.
वैद्यनाथन- पहले उन्हें रिपोर्ट देखने को कहा जाए. फिर प्रतिवादी के आवेदन पर सुनवाई करें.
हुजेफा अहमदी (मुस्लिन पक्ष के वकील)- अब तक सभी आदेश कानून के विरुद्ध हैं. उन्हें निरस्त किया जाना चाहिए.
जज- हम आपकी बात समझ गए. आप पहले अपने आवेदन पर सुनवाई चाहते हैं.
जज- हमने अभी तक जो आदेश दिया है, उससे मामले में संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है.
वैद्यनाथन- सुप्रीम कोर्ट जिला जज को इसका निर्देश न दे कि प्रतिवादी का आवेदन पहले सुनें.
जज- आप दोनों अपनी बात जिला जज के सामने रखें.
अहमदी- इस तरह के मामले समाज में अव्यवस्था फैला सकते हैं. सर्वे कमीशन बनना ही नहीं चाहिए था, मुझे अपनी बात रखने दीजिए.
अहमदी- सैकड़ों सालों से जो स्थिति थी, वह बदल दी गई है. अगर आप यथस्थिति का आदेश देते हैं तो यह दूसरे पक्ष की सफलता होगी. सर्वे से पहले वाली स्थिति बहाल की जाए.
जज- हमारे पास आज समय की कमी है.
जस्टिस सूर्यकांत- अगर आपका आर्डर जिला जज मंजूर कर लेते हैं, तो पहले आए सभी आदेश खुद ही रद्द हो जाएंगे.
अहमदी- इस मामले का दूरगामी असर होगा. इसलिए मैं आज ही आदेश की मांग कर रहा हूं.
अहमदी- इसे सिर्फ एक मुकदमे की तरह मत देखिए. ऐसे कई मामले देश में हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़- आप कह रहे हैं कि कमीशन बनना ही नहीं चाहिए था.
अहमदी- मैं कह रहा हूं कि मुकदमा सुना ही नहीं जाना चाहिए था.
जज- अभी निचली अदालत को मुकदमे की मेंटनेबिलिटी पर निर्णय लेना है. आप आर्डर 7, रूल 11 आवेदन पर जिला जज के सामने बहस कीजिए.
जज- दूसरा पक्ष कह रहा है कि पहले रिपोर्ट देखा जाए. हम इसका भी आदेश अपनी तरफ से नहीं दे रहे हैं.
जज- हम अभी मामला अपने पास लंबित रखेंगे. आप जिला जज में अपने आवेदन पर बहस कर लीजिए. आपको फिर यहां मौका मिलेगा.
वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार- मैं हिंदू पक्ष के 3 याचिकाकर्ताओं के लिए पेश हुआ हूं.
जज- आपके लिए भी आगे अवसर रहेगा. अगर आर्डर 7 आवेदन मंजूर हो जाता है तो उसके खिलाफ आप यहां अपनी बात रख सकेंगे.
जज- हमने अब तक सौहार्द और संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है.
अहमदी- कमीशन की रिपोर्ट लीक हुई.
जज- रिपोर्ट कोर्ट के पास जानी चाहिए थी. मीडिया में लीक नहीं होनी चाहिए थी.
अहमदी- शनिवार, रविवार और सोमवार को सर्वे हुआ. सोमवार, 16 मई को सर्वे टीम की रिपोर्ट से पहले एक आवेदन दाखिल हो गया कि वहां शिवलिंग मिला है. यह हमारे हिसाब से फव्वारा है.
इस पर वैद्यनाथन ने एतराज किया.
अहमदी- आप मुझे बोलने से नहीं रोक सकते.
जज- आप अपनी बात रखिए.
अहमदी- वहां स्थिति बदल गई है.
जस्टिस चंद्रचूड़- क्या वहां नमाज नहीं हुई?
अहमदी- हुई, वजू नहीं हो पाया.
जस्टिस सूर्यकांत- अभी हमने मामला लंबित रखा है.
जस्टिस चंद्रचूड़- आर्डर 7 आवेदन पर आप जिला जज के बाद हाई कोर्ट भी जा सकते हैं.
तुषार मेहता ( सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार के वकील) – मुस्लिम पक्ष की बात पर ऐतराज जताते हुए कहा कि वहां नमाज भी हुई और प्रशासन की तरफ से वहां पर वजू का भी इंतजाम किया गया है.
इसके बाद अहमदी और मेहता में हल्की झड़प हुई. अहमदी ने मेहता के बीच में बोलने पर आपत्ति जताई. जजों ने अहमदी को अपनी बात जारी रखने को कहा.
अहमदी- कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट देखे.
इसके बाद जजों ने कोर्ट स्टाफ से एक्ट मांगा.
अहमदी- किसी धार्मिक जगह की स्थिति नहीं बदली जा सकती. लेकिन हिंदू पक्ष का आवेदन यही मांग कर रहा है.
जज- मालिकाना हक नहीं, पूजा का अधिकार मांगा गया है.
अहमदी- यह भी गलत है. इससे जगह की स्थिति ही बदल जाएगी.
जज- हमने अयोध्या फैसले में भी प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर कुछ पैराग्राफ लिखे थे.
अहमदी- कमीशन बनना ही नहीं चाहिए था.
जस्टिस चंद्रचूड़- तथ्य सुनिश्चित करना सेक्शन 3 का उल्लंघन नहीं.
जज- अगर एक अगयारी (पारसी पूजास्थल) में क्रॉस (ईसाई प्रतीक) भी रखा है तो जज उस जगह का धार्मिक स्टेटस जांच सकता है. ये सिविल वाद के नियमों के तहत है.
अहमदी- अगर बौद्ध मठ या जैन मंदिर भी हिंदू मंदिर बने हैं या कोई और बदलाव हुआ है तो उस विवाद से बचने के लिए ही एक्ट बनाया गया था.