जीएसटी के दायरे में आए पेट्रोल-डीजल के दाम तो कीमतों में आ सकती है भारी गिरावट

नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल के भाव में लगातार तेजी बनी हुई है. कई राज्यों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये के भी पार हो चुकी है. वहीं ईंधन की बढ़ती कीमतों का असर आम जनता पर पड़ रहा है और इससे महंगाई में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. हालांकि पेट्रोल और डीजल को अगर जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इसकी कीमतों में कमी लाई जा सकती है.
एसबीआई इकोनॉमिस्ट ने एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट पेश की है. इसमें कहा गया है कि पेट्रोल को अगर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है तो इसका खुदरा भाव इस समय भी कम होकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है. केंद्र और राज्य स्तरीय करों और कर-पर-कर के भारत से भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम दुनिया में सबसे उच्चस्तर पर बने हुए हैं.
वहीं डीजल को भी अगर जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो इसका दाम भी कम होकर 68 रुपये लीटर पर आ सकता है. ऐसा होने से केंद्र और राज्य सरकारों को केवल एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जो कि जीडीपी का 0.4 प्रतिशत है. यह गणना एसबीआई इकोनॉमिस्ट ने की है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम को 60 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर-रुपये की विनिमय दर को 73 रुपये प्रति डॉलर पर माना गया है.
100 रुपये पहुंचा दाम
वर्तमान में प्रत्येक राज्य पेट्रोल, डीजल पर अपनी जरूरत के हिसाब से मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाते हैं जबकि केंद्र इस पर उत्पाद शुल्क और अन्य उपकर वसूलता है. इसके चलते देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर तक पहुंच गए हैं. ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थों पर ऊंची दर से कर को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है, जिसकी वजह से ईंधन महंगा हो रहा है.
एसबीआई इकोनॉमिस्ट ने कहा कि जीएसटी प्रणाली को लागू करते समय पेट्रोल, डीजल को भी इसके दायरे में लाने की बात कही गई थी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है. पेट्रोल, डीजल के दाम इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाने से इनके दाम में राहत मिल सकती है.
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
उनका कहना है, ‘केंद्र और राज्य सरकारें कच्चे तेल के उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के इच्छुक नहीं है क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर, वैट आदि लगाना उनके लिए कर राजस्व जुटाने का प्रमुख स्रोत है. इस प्रकार इस मामले में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है, जिससे कि कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है.’
कच्चे तेल के दाम और डॉलर की विनिमय दर के अलावा इकोनॉमिस्ट ने डीजल के लिए परिवहन भाड़ा 7.25 रुपये और पेट्रोल के लिए 3.82 रुपये प्रति लीटर रखा है. इसके अलावा डीलर का कमीशन डीजल के मामले में 2.53 रुपये और पेट्रोल के मामले में 3.67 रुपये लीटर मानते हुए पेट्रोल पर 30 रुपये और डीजल पर 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से उपकर और 28 प्रतिशत जीएसटी की दर से जिसे केंद्र और राज्यों के बीच बराबर बांटा जाएगा.
इसी आधार पर इकोनॉमिस्ट ने अंतिम मूल्य का अनुमान लगाया है. इसमें कहा गया है कि सालाना डीजल के मामले में 15 फीसदी और पेट्रोल के मामले में 10 फीसदी की खपत वृद्धि के साथ यह माना गया है कि जीएसटी के दायरे में इन्हें लाने से एक लाख करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है

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