शेखर डे
जनवरी माह की 26 तारीख भारत वर्ष के राष्ट्रीय पर्व का यानि “गणतंत्रदिवस” ।खुलेआसमान में मुक्त हवाओ के संग अपना राष्ट्रीय ध्वज जब स्वछंद लहराता है तब हम सभी देशवासियों का सिर गर्व से तन जाता है।गर्व महसूस होता है यह सोचकर कि हम स्वतंत्र देश के नागरिकहै।इसीदिन के लिए न जान ेकितन ेवीर सपूतो नेअपन ेजान की आहुति द ेडाली। युवा हो या वृद्ध, पुरुष हो या महिला सभी ने जान पर खेलकर अंग्रेजी हुकूमत से अपन ेदेश की आजादी पाई। कईयों के नाम इतिहास मे ंदर्ज है और कर्इ गुमनाम। स्वतंत्रता सेनानी मुख्यत:दो दलो ंमे ंबंटे हुए थे। गरम दल और नरम दल। नरम दल जहाँ सत्याग्रह ,बहिष्कार , और अनशन के दम पर आजादी हासिल करना चाहता था वही गरम दल आंदोलन और विद्रोह के साथ अपनी आजादी छीन लेना चाहता था। नरमदल ‘स्वराज’ चाहत ाथा। जबकि गरम दल ‘पूर्णस्वराज’।इसी क्रम में वर्ष 1924 म ेंगरम दल के समर्थको ने 26 जनवरी को अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराकर पूर्णस्वराज की मांग की उद्घोषणा कर दी। संग्राम चलत ारहा राजनीति भी चलती रही।
आजादी तो मिली पर दिवस और समय का चयन भी अंग्रेजी सरकार ने ेही किया।मध्यरात्रि को राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया गया। 26 जनवरी को कुछ लोग भूल गए पर नही ंभूले वो जिन्होंने इस दिन वर्ष 1930 में अपना तिरंगा आसमान मे ंलहराकर अपने देश को ‘पूर्णस्वराज’ घोषित किया था। संघर्ष अब भी जारी था। परदृ?संकल्पके आगे सभी को झुकना पड़ा। एक स्वतंत्र गणराज्य बनन ेऔर देश मे ंकानून का राज स्थापित करन ेके लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। तब से हर वर्ष इसे गणतंत्र दिवस के रूप मे ंमनाते हैं .