चीन ने गलवान का दिखाया फर्जी वीडियो, भारतीय जवानों ने उसी की भाषा में दिया जवाब, जानें पूरा मामला

गलवान घाटी की तस्वीर

चीन की पीएलए सैनिकों के गलवान घाटी में ‘एक भी इंच जमीन ना देने वाले’ वीडियो के बाद अब भारतीय सैनिकों के भी तिरंगे के साथ तस्वीरें सामने आई हैं. बर्फ से जमी गलवान नदी के करीब में ही भारतीय सेना की ओबजर्वेशन पोस्ट साफ दिखाई पड़ रही है. वहीं पर हाथों में अमेरिकी सिगसोर राइफल लिए भारतीय सैनिक कतारबद्ध खड़े हैं.
गलवान घाटी की दो तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें भारतीय सैनिक हाथों में तिरंगा और राइफल लिए दिख रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, ये दोनों तस्वीरें गलवान घाटी की नए साल की हैं. तस्वीरों में पहाड़ों पर बर्फ दिखाई पड़ रही है.
साथ ही बर्फ से जमी हुई गलवान नदी भी साफ देखी जा सकती है. एक तस्वीर में भारतीय सेना की अस्थायी ओबजर्वेशन-पोस्ट दिखाई दे रही है जिसपर तिरंगा लहरा रहा है. भारतीय सेना की पूरी एक प्लाटून इस चौकी पर तैनात है. तिरंगे के साथ ही सेना की लोकल फोर्मेशन का झंडा भी ऑबजर्वेशन पोस्ट पर दिखाई पड़ रहा है.
गलवान से आई दूसरी तस्वीर में सैनिकों की एक पूरी पलटन बर्फ से जमी गलवान नदी में खड़ी हुई है. इस तस्वीर में कुछ सैनिक हाथ में तिरंगा लिए नदी में बैठे है और बाकी सभी अपनी सिगसोर राइफल के साथ खड़े हुए हैं.
गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की तस्वीरें ऐसे सामने आई हैं जब हाल ही में चीन की सरकारी मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो ट्वीटर पर पोस्ट किया था. ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि इस वीडियो में चीनी सैनिक गलवान घाटी में खड़े हुए हैं और अपनी एक भी इंच जमीन किसी को ना देने की शपथ ले रहे हैं. पीछे पहाड़ पर भी चीनी भाषा (मैंडरिन) में लिखा हुआ है कि ‘एक भी इंच जमीन नहीं जाने देंगे’.

नए साल के मौके पर चीन ने कई प्रोपेगेंडा वीडियो जारी किए थे. एक वीडियो में हाथ में चीन का झंडा लिए पीएलए सैनिक गाना गाते हुए सुनाई पड़ रहे हैं तो एक वीडियो में तो सब-जीरो तापमान वाले इलाके में कड़ी एक्सरसाइज ‌से सैनिकों के सिर पर पसीना बर्फ में तब्दील होने का दावा तक कर दिया गया था.
सोमवार को ही खबर आई थी कि चीनी सेना पैंगोंग-त्सो लेक पर एक पुल का निर्माण कर रही है ताकि झील के उत्तर और दक्षिण छोर के बीच सैनिकों का आवागमन आसान हो सके. ये पुल फिंगर 8 से करीब 20 किलोमीटर दूर चीन के खुरनाक फोर्ट के करीब बनाया जा रहा है. ये पुल पैंगोंग त्सो के दक्षिण में रोटूग मिलिट्री बेस‌ के करीब पहुंचता है. इस पुल के बनने से चीनी सेना की खुरनाक से रोटूग बेस तक की करीब डेढ़ सौ (150) किलोमीटर की दूरी मात्र 40-45 किलोमीटर रह जाएगी.
नए साल के मौके पर हालांकि, पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी यानि लाइन ऑफ कंट्रोल के सात इलाकों में भारत और चीन के सैनिकों ने शुभकामानएं और मिठाईयों का आदान प्रदान जरूर किया था लेकिन अभी भी तनाव बरकरार है. पूर्वी लद्दाख में दोनों ही देशों के 60-60 हजार सैनिक, टैंक, तोप और मिसाइल अभी भी यहां तैनात हैं. दोनों देशों के बीच विवाद की ये दूसरी सर्दी है. दोनों ही देशों के सैनिक बेहद ही ठंडे रेगिस्तान वाले लद्दाख में तैनात हैं. करीब 15-16 हजार फीट की उंचाई पर यहां सर्दियों में तापमान माइनस (-) 35-40 डिग्री तक गिर जाता है और जबरदस्त सर्द हवाएं चलती हैं.

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