चांडिल : सरायकेला-खरसावां व पुर्वी सिंहभूम जिला के 193 वर्ग किलोमीटर भू-भाग में दलमा वन्य अभयारण्य फैला है। दलमा पर्वत शृंखला समुद्रतल से 3000 फीट ऊंचाई पर स्थित एक पर्वतीय मनोरम पर्यटन स्थल भी है। यह अभयारण्य एशिया महादेश का प्रसिद्ध हाथियों का संरक्षण स्थल है। इसके साथ ही हिरण, तेंदुआ, बाघ, मोर, खरगोश आदि अनेक प्रकार के पशु पक्षियों के लिए भी सुरक्षित संरक्षण स्थल माना जाता है। सरकार द्वारा दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च किया जाता है। लेकिन विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों के लापरवाही के कारण वर्तमान समय में इस अभयारण्य के पशु-पक्षी आग से जान बचाने के लिए दहशत में है। शायद पशु पक्षियां जीवन रक्षा के लिए किसी महापुरुष विभागीय पदाधिकारी के अभयदान के प्रतीक्षा में है।
आग के कारण सुरक्षित नहीं है पशु, पक्षी व मनुष्य
शुक्रवार को दलमा पर्वत शृंखला के पश्चिमी छोर चाकुलिया गांव के पास से भीषण धुंआ की लपेटें आसमान की ओर उठ रहा था। इससे स्पष्ट है कि पर्वत शृंखला में आग लगा है। यह आग किसने और क्यों लगाई है यह जानकारी जुटाना विभाग का कार्य है। विदित हो कि विगत एक महीना से कोल्हान प्रमंडल के विभिन्न जंगलों में आग लगने की घटना हो रही है। जिससे सरकार का वन संरक्षण का माखौल उड़ रही है। प्रत्येक साल सरकार द्वारा वनों की वृद्धि के लिए ”पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ” कार्यक्रम चलाती है। लेकिन हरा भरा वनों को आग से बचाने के लिए कोई कार्य धरातल पर नहीं दिख रहा है। वनों की सुरक्षा के लिए जंगल के तराई में स्थित गांवो में ”वन संरक्षण कमिटी” का भी गठन किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार विभागीय सही दिशा निर्देश नहीं मिलने के कारण यह कमिटी भी निर्जीव होने लगा है। आग के कारण हाथियों का झुंड जंगल छोड़कर गांव की और भाग रहे हैं। जिसके कारण आये दिन गांव के मकान, अनाज, मनुष्य, मवेशी आदि हाथी के शिकार हो रहे हैं।