भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी फादर स्‍टेन स्‍वामी का निधन, झारखंड में दर्ज हुआ था राजद्रोह का केस

लंबे समय तक आदिवासियों और गरीबों के लिए किया था काम

मुंबई
तारीख थी 31 दिसंबर, साल 2017 और जगह पुणे का भीमा कोरेगांव। नए साल के जश्‍न के दौरान यहां दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान एक शख्‍स की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे। दरअसल यहां दलित और बहुजन समाज के लोगों ने एल्‍गार परिषद के नाम से कई जनसभाएं कीं। जनसभा में उठे मुद्दे हिदुत्‍व राजनीति के खिलाफ थे। बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के भाषण के दौरान ही हिंसा भड़क उठी थी। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।
इस हिंसा के बाद पुणे पुलिस ने कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर 5 कथित नक्‍सल समर्थकों को अरेस्‍ट कर लिया। दिल्‍ली, फरीदाबाद, गोवा, मुंबई, रांची और हैदराबाद में छापे मारे गए। गिरफ्तार किए गए लोगों में गौतम नवलखा, केपी वरवर राव और सुधा भारद्वाज शामिल थीं। जांच के दौरान एल्‍गार परिषद के भाषणों के आधार पर फादर स्‍टेन स्‍वामी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया। अक्‍टूबर, 2020 में एनआईए ने उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया।
लंबे समय तक उठाते रहे दलितों-पिछड़ों की मांग
84 साल के स्‍टेन स्‍वामी ने लंबे समय तक दलितों, आदिवासियों और अन्‍य पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए लगातार काम किया। तमाम मंचों पर उनकी आवाज बुलंद की। किसान परिवार से आने वाले स्‍वामी ने गरीब बच्‍चों के लिए स्‍कूल भी चलाए। भीमा कोरेगांव मामले में अक्‍टूबर पकड़े जाने के बाद उनकी तबीयत लगातार खराब चल रही थी। उन्‍होंने बॉम्‍बे हाई कोर्ट में जमानत याचिका लगाई पर उन्‍हें बेल नहीं मिल पाई।

कान से सुनाई देना हो गया था बंद
स्‍वामी की तबीयत जब बहुत ज्‍यादा बिगड़ गई तो हाई कोर्ट के आदेश के बाद उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया। स्‍टेन स्‍वामी सुनने की क्षमता पूरी तरह खो चुके थे। वह लाइलाज पार्किंसन बीमारी से भी जूझ रहे थे। उन्‍हें स्‍पांडलाइटिस की समस्‍या थी। पिछले साल मई में वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद से उनकी स्थिति लगातार गंभीर थी। इलाज के बाद भी उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। उन्‍हें वेंटिलेटर पर रखा गया और पांच जुलाई को उनका निधन हो गया।

झारखंड में दर्ज हुआ था राजद्रोह का केस
फादर स्‍टेन स्‍वामी का जन्‍म 26 अप्रैलल, 1937 को तमिलनाडु के त्रिची में हुआ था। पिता किसान थे और मां गृहणी। समाजशास्‍त्र में एमए करने के बाद उन्‍होंने बेंगलुरु के इंडियन सोशल इंस्‍टीट्यूट में काम किया। उसके बाद झारखंड चले गए और आदिवासियों और गरीब तबके के लिए काम करने लगे। शुरुआती दिनों में पादरी का काम किया, फिर आदिवासी अधिकारों की लड़ाई लड़ने लगे। स्‍टेन स्‍वामी पर पत्‍थलगढ़ी आंदोलन के मुद्दे पर तनाव भड़काने के लिए झारखंड सरकार के खिलाफ बयान जारी करने के आरोप लगे थे। झारखंड की खूंटी पुलिस ने स्‍वामी समेत 20 लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया था।

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