नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पेश किया। जो भारी हंगामे के बीच में राज्यसभा से भी पास हो गया। इससे पहले कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 को लोकसभा ने मंजूरी दे दी थी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पूरे सदन के सारे सदस्य कृषि कानून निरसन विधेयक का स्वागत करते हैं और कोई भी इसके विरोध में नहीं हैं क्योंकि यह किसानों का मुद्दा है।
लोकसभा में हंगामे के बीच वापसी
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा ने विपक्ष के हंगामे के बीच कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही मंजूरी दे दी गई।
लोकसभा में विंटर सेशन शुरू होते ही कृषि मंत्री तोमर ने कृषि कानून वापसी का बिल पेश किया, जो पास भी हो गया। इसके बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कानून वापसी पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने विपक्ष से कहा कि आप चर्चा चाहते हैं तो हम वो करवाने को तैयार हैं, लेकिन विपक्ष ने नारेबाजी जारी रखी।
राज्यसभा से 12 सांसद निलंबित
वहीं, राज्यसभा के 12 सांसद निलंबित कर दिए गए हैं। इनमें CPM के एलाराम करीम, कांग्रेस के फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, CPI सांसद बिनॉय विश्वम, TMC नेता डोला सेन और शांता छेत्री और शिवसेना के प्रियंका चतुर्वेदी व अनिल देसाई शामिल हैं। मानसून सत्र के दौरान बदसलूकी को लेकर यह कार्रवाई हुई है। राज्यसभा कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
राहुल बोले- कहा था कि काले कानून वापस लेने पड़ेंगे
कांग्रेस के राहुल गांधी ने कहा, “हमने कहा था कि 3 काले कानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिंदुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती और वही हुआ। काले कानूनों को रद्द करना पड़ा। ये किसानों की सफलता है। देश की सफलता है।”
गलती मानी है तो नुकसान की भरपाई करें
राहुल ने कहा कि ये तीन कानून किसानों और मजदूरों पर आक्रमण थे। किसानों और मजदूरों की कठिनाइयों की लिस्ट लंबी है, जो MSP और कर्ज माफी तक ही सीमित नहीं है। वे अभी भी मांग कर रहे हैं और हम उनका समर्थन करते हैं। आपने कहा प्रधानमंत्री ने माफी मांगी, इसका मतलब प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनकी गलती के कारण 700 लोग मारे गए, उनकी गलती से आंदोलन हुआ। अगर उन्होंने गलती मानी है तो नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी।
कांग्रेस नेता ने कहा, “जिस तरह से संसद में बिना किसी चर्चा के कानून रद्द किए गए, ये दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। सरकार जानती है कि उसने गलत काम किया है। 700 किसानों की मृत्यु और कानूनों को लागू करने के पीछे किसकी शक्ति थी, इस पर चर्चा होनी थी, लेकिन सरकार ने नहीं होने दी।”
टिकैत ने कहा- हमारा आंदोलन जारी रहेगा
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा के लीडर राकेश टिकैत ने कहा, “कृषि कानून वापस हो चुके हैं, लेकिन अब MSP और किसानों की समस्याओं पर चर्चा होनी चाहिए। हम 4 दिसंबर को एक बैठक करेंगे और उसमें आंदोलन की दिशा तय की जाएगी। तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”
मोदी ने सत्र से पहले की थी शांति बनाए रखने की अपील
संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक दलों से शांति और मर्यादा बनाए रखने की अपील की। PM ने कहा कि संसद में सवाल हो, लेकिन शांति भी बनी रहे। हमारी पहचान इस बात से हो कि हमने सदन में कितने घंटे काम किया, न कि इस बात से कि सदन में किसने कितना जोर लगाकर संसद को रोका। प्रधानमंत्री का इशारा विपक्ष के हंगामे की तरफ था।
इधर, कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर कांग्रेस ने संसद परिसर में धरना दिया। इसमें कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल समेत पार्टी नेता शामिल हुए।