चाईबासा पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त अभियान चलाकर उसे जंगल में घेर रखा था
Chakradharpur,16 Dec: PLFI संगठन से जुड़ा दो लाख रुपए का इनामी कुख्यात नक्सली एरिया कमांडर मंगरा लुगुन गुरुवार की सुबह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. पुलिस और CRPF की संयुक्त कार्रवाई में मंगरा को गोईलकेरा थाना अन्तर्गत लेपा, रेड़दा क्षेत्र के जंगल में मुठभेड़ में मार गिराया गया. वह उसी क्षेत्र में रहता था. उसके पास से हथियार और अन्य सामान बरामद किया गया है. चाईबासा जिला पुलिस और सीआरपीएफ ने नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया था. इस संबंध में चाईबासा एसपी अजय लिंडा ने बताया कि गोईलकेरा थाना अन्तर्गत लेपा, रेड़दा क्षेत्र के जंगल में मंगरा लुगुन रहता था. वहां गुरुवार की सुबह पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ के बाद नक्सली का शव, हथियार, पीट्ठू आदि सामान बरामद किया गया है. उन्होंने कहा कि मंगरा लुगुन दहशत का पर्याय था. नवंबर में दिनेश गोप दस्ते के साथ दो बार मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 26 नवम्बर की मुठभेड़ के बाद दिनेश गोप गुदड़ी के जंगलों में भाग निकला था, लेकिन मंगरा लुगुन छोटी टीम के साथ इसी जंगल में रूक गया था. सूत्रों के अनुसार पुलिस नक्सली कमांडर मंगरा लुगुन का शव जंगल से लेकर आ रही है. उल्लेखनीय है कि 16 नवम्बर को ही मंगरा लुगुन के बारे में खबर छपी थी कि पुलिस के विशेष निशाने पर है. मंगरा लुगुन के साथ आधा दर्जन नक्सली रहते हैं और मंगरा स्वयं एके-47 राइफल लेकर चलता है. वह गोइलकेरा थाना क्षेत्र के सारुगाड़ा जंगल में पिछले कुछ दिनों से निरंतर सक्रिय था. उसका मुख्य धंधा विकास योजनाओं से सम्बद्ध ठेकेदारों, हब्बा-डब्बा जैसे जुआ खेल कराने वाले संचालकों, बालू घाट संचालकों आदि को डरा-धमका कर उनसे लेवी वसूलना था. वह हत्या आदि जैसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता था. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार गोइलकेरा व पश्चिम सिंहभूम की विभिन्न थाना की पुलिस मंगरा लुगुन की तमाम गतिविधियों पर निरंतर नजर बनाए हुए थी ।
चंद्रमोहन तिर्की की हत्या में दस्ते का हाथ होने की आशंका
सूत्रों का कहना है कि बीते महीने गोइलकेरा थाना अंतर्गत हब्बा-डब्बा जुआ खेल संचालक दलकी गांव निवासी चन्द्रमोहन तिर्की की गोली मारकर हत्या मंगरा लुगुन के इशारे पर ही की गई थी. मंगरा के दस्ते के लोगों ने उसे घर से बुलाया और उसकी हत्या कर दी थी. चन्द्रमोहन दलकी गांव में हब्बा-डब्बा जुआ का संचालन व बालू का कारोबार भी करता था, लेकिन उसने मंगरा लुगुन को लेवी नहीं देता था. इस गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कायदा गांव के समीप लगने वाले साप्ताहिक हाट में भी हब्बा-डब्बा का संचालन होता था. वहां पूर्व में पुलिस ने छापेमारी की थी. इसके संचालकों से मंगरा लुगुन लेवी उगाही करता था. इस छापेमारी के बाद मंगरा को लगा कि चन्द्रमोहन के कहने पर ही पुलिस ने यहां छापेमारी की है, जिससे उसे लेवी मिलना बंद हो गया था. दूसरी ओर, भरडीहा बालू घाट के संचालकों से हर माह 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक लेवी वसूलता था. यहां भी पुलिस ने इसे कई बार दबोचने का प्रयास किया, लेकिन वह इतना शातिर था कि वह स्वयं बालू घाट पर नहीं पहुंच सारुगाड़ा क्षेत्र में शरण लेकर वहां से अपने लोगों को लेवी का पैसा लेने भेज देता था.