पाठकनामा,,,, *पुरानी बिजली व्यवस्था को समय के साथ बदलने की आवश्यकता*

बालूमाथ,लातेहार जिला मैं हुई घटना से हम सब व्यथित हैं। कांवरिया से भरी सवारी गाड़ी एक बिजली के खंभे से टकराती है और करंट की चपेट में आने के कारण सभी की मृत्यु हो जाती है। यह कोई पहली घटना नहीं है। आए दिन खुले तार, झुके बिजली के खंभे और हमारी नासमझी के कारण कई लोगों को जान गवाने पड़ते है और घर परिवार में भारी जान माल की क्षति भी होती है।ग्रामीण/जंगल क्षेत्र में भी कई बार आकस्मिक बिजली के खंभे,तार टूटने से जंगल में रह रहे जानवरों को भी जान का नुकसान होते हमने देखा है।
अधिकतर यह संकट बरसात के समय देखने को मिलता है। हाल ही में मुंबई के अंदर बरसात का पानी रास्ते में जमा होने के कारण और पानी के अंदर करंट दौड़ने से कई लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है।हम सब समाधान के रूप में जाने जाते हैं। इसलिए हमारा सुझाव है की समाज और शासन तंत्र दोनों को मिलकर इस पर चिंतन करने के साथ-साथ अधिक से अधिक बिजली के तार को कवर के तार के रूप में परिवर्तित कर देना चाहिए।केंद्र और राज्य की सरकार इस पर पहल भी कर रही है किंतु यह योजना आधी अधूरी पड़ी हुई है। साथ ही यदि संभव हो सके तो अधिक से अधिक इस व्यवस्था को जमीन के अंदर से ले जाने का प्रयास करना चाहिए और रास्ते के किनारे में तो बिजली के खंभे को लगाने से अधिक से अधिक बचना चाहिए।
बिजली व्यवस्था में लगे लोगों को बीच-बीच में जांच भी करनी चाहिए। हमें मालूम है कि इसके लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं भी बनी हुई है। किंतु यह सोचने और विचारने का हम सबके लिए बहुत बड़ा अवसर है।हम तो आपदा से भी सीखने वाले लोग हैं।
आए हम सब मिलकर एक जन-जागरण का भी प्रयास करें।अपने आसपास इस पर ध्यान दें,ताकि आगे ऐसी संकट की घड़ी हमारे बीच ना आए।

शम्मी,लोहरदगा रोड,गुमला,झारखंड

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