जातीयता को एक ओर समाज को तोडऩे वाला बताया जाता है। ऊंच-नीच का भेदभाव पैदा करने…
Category: सम्पादकीय
Public ने देखा-झेला वो गलत, सरकार का बयान सही, मान लेने में हर्ज क्या!
संपादकीय आक्सीजन के अभाव में कोरोना से हुई मौतों के बारे में ज्यादा बतकुच्चन करने से…
आपातकाल का दर्द किसे याद, कौन भूला
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था उसके बाद से हर…
जमशेदजी टाटा जैसा दूजा नहीं
जमशेदजी टाटा को 20वीं सदी का सबसे बड़ा परोपकारी चुना जाना पूरे भारत के लिये गौरव…
सम्पादकीय : एलोपैथ बनाम आयुर्वेद विवाद
एलोपैथ और आयुर्वेद को लेकर विवाद कुछ इस तरह गहराता जा रहा है जो बेहद खतरनाक…
सम्पादकीय ,एलोपैथ बनाम होम्योपैथ विवाद
एलोपैथ और आयुर्वेद को लेकर विवाद कुछ इस तरह गहराता जा रहा है जो बेहद खतरनाक…
कोविशील्ड को लेकर भ्रम
कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर नित आने वाले नये-नये गाइड लाइन ने लोगों को भ्रम में डाल…
सम्पादकीय-फटी जिंस और फटी सोच
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की फटी जिंस वाली टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया से…
सम्पादकीय -अब तो रसोई गैस की सब्सिडी का कोई मतलब नहीं रहा
केन्द्र की मोदी सरकार के सामने पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस के मूल्य में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी के…
आरक्षण : अब तो केवल दो ही, जाति अमीरी-गरीबी
आरक्षण को लेकर हमेशा बहस छिड़ी रहती है। एक वर्ग है जो इसका प्रबल समर्थक है।…