प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन और नाम का ऐलान भारत रत्न प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए किया है । अभी 20 दिन भी नहीं बीते कि कुल पांच नामों की घोषणा भारत रत्न के लिए की जा चुकी है। आज पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह तथा पर्यावरण विद स्वामिनाथन को भारत रत्न देने की जानकारी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक हैंडल के माध्यम से दी। कुछ दिन पहले ही उन्होंने पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नाम की घोषणा भारत रत्न के लिए की थी। उसके पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम की घोषणा की जा चुकी है। कर्पूरी ठाकुर के नाम की घोषणा के साथ ही नीतीश कुमार दलबल के साथ भाजपा के साथ हो लिये और अब चौधरी चरण सिंह के बेटे जयंत चौधरी को अपने साथ करने के जुगाड़ में बीजेपी है। इन दोनो के नाम के साथ ही बड़ा जातीय समीकरण भी जुड़ा हुआ है। चरण सिंह को किसान नेता के तौर पर बड़ा दर्जा मिला हुआ है और इस घोषणा के साथ ही बीजेपी ने किसान आंदोलनों पर पलीता लगाने की कोशिश की। चौधरी चरण सिंह के नाम की घोषणा महज संजोग नहीं है। भारत रत्न जैसे प्रतिष्ठित अवार्ड की घोषणाओं को यदि किसी भी तरह के चुनावी नफा नुकसान के या राजनीतिक समीकरणों से जोडक़र देखा जाए तो यह उसे महान पुरस्कार की गरिमा को आहत करने वाला है।
भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही गांधी परिवार पर आरोप लगाया था कि वह अपने ही नाम की घोषणा भारत रत्न के लिए करता रहा है ।जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी को उनके ही कार्यकाल में भारत रत्न से नवाजा गया था। इन दिनों बीजेपी कांग्रेस के उपेक्षित नेताओं से पूरी सहानुभूति दिखा रही है। पीवी नरसिम्हा राव के नाम की घोषणा कर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के दुखती रग पर हाथ रखने का प्रयास किया है। कांग्रेस में केवल नेहरू गांधी परिवार को ही महिमामंडित किया जाता है और बीजेपी इसे ही मुद्दा बनाती है। पीवी नरसिम्हा राव के योगदानों की चर्चा कांग्रेस की ओर से कभी नहीं की जाती। बीजेपी ओर से जरूर पहले सरदार पटेल और अब पीवी नरसिम्हा राव के नाम के आगे कर कांग्रेस को और असहज करने का प्रयास है। भारतीय जनता पार्टी यह दिखाना चाहती है कि कांग्रेस में गैर गांधी परिवार के दूसरे बड़े नेताओं को कोई तवज्जो नहीं मिलती। हाल ही बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने भाषण में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिवारवाद को लेकर कांग्रेस पर जमकर बरसे थे। लाल कृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देने के पीछे राम मंदिर आंदोलन और भाजपा के पुराने और समर्पित नेताओं कार्यकर्ताओं को भी संतुष्ट करने का प्रयास है। यह बड़ा वर्ग खुद को इस समय उपेक्षित मानता है।
पूरे मामले का लब्बोलुआब यही है कि भारत से रतन जैसे प्रतिष्ठित अवार्ड के साथ जो कुछ हो रहा है उसे सुखद नहीं कहा जा सकता।