जिस आम आदमी को लोकतंत्र में सर्वोपरि कहा जाता है उसकी जिंदगी 10 रुपये कमाने और बचाने में जूझती रहती है। देश में बड़ी आबादी ऐसी है जिसे अवकाश ग्रहण के बाद पेंशन के नाम पर 700 रुपये से लेकर 1000 रुपये मिलते है, सरकारें भी वृद्धा पेंशन के नाम पर हर माह 500 रुपये मुहैया कराती है। लेकिन इसी देश में ‘जन सेवक’ (या जनप्रतिनिधि) इसी आम आदमी की गाढी कमाई पर बड़ी बेहयायी से ऐश करते है। देश में ऐसा प्रावधान है कि विधायक को उसके हर टर्म के लिये अलग-अलग पेंशन मिलता है। साधारण भाषा में समझें तो एक कार्यकाल के लिये उन्हें करीब 75 हजार रुपये यदि पेंशन मद में मिलते है तो यदि वे 10 टर्म विधायक रहे तो उन्हें 7.50 लाख रुपये हर माह पेंशन मिलेगे। इसके अलावे लोकसभा या राज्य सभा के सदस्य होने की सूरत में उन दोनों के अलग-अलग अतिरिक्त पेंशन मिलेगे। यानि ऐसे जनप्रतिनिधि हर साल करीब 10 लाख रुपये पेंशन मद में लेते है। इस मामले में ं राजनीतिक दलों में कोई भेद नहीं। सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है। सुविधा भोगने के नाम पर वे सारे मतभेद भूलकर एक हो जाते है। जिस देश में आम आदमी महंगाई की मार झेलता है, पेट्रोल-डीजल मद में उससे 100 प्रतिशत के करीब कर वसूला जाता है वह अपना पेंशन पाने के लिये एडिय़ा रगड़ रहा है। उनका पेंशन 7500 हजार रुपये करने का प्रस्ताव भी दिया गया है लेकिन सरकारें उस पर कुंडली मारे बैठी रहती है। लेकिन अपना पेंशन बड़ी बेशर्मी से वे डकारते रहते है।
पंजाब अभी करीब 2.63 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है और वहां सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार ने कंगाली से निकलने के लिये विधायकों को अब एक ही पेंशन देने का फैसला किया है। यानि कोई कितने ही टर्म का विधायक क्यों न हो उसे एक ही पेंशन मिलेगा। इससे पंजाब सरकार को पांच साल में करीब 80 करोड़ रुपये की बचत होगी। अनुमान लगाये कि यदि हर राज्य ऐसा करे तो हर साल हजार करोड़ रुपये तक की बचत केवल एक मद में हो सकती है।
राजनीतिक लोग बड़ी चतुराई से जनता को जाल में फांसकर ऐश करते रहते है लेकिन आम आदमी अपने-अपने चहेते दल के बचाव में लगा रहता है। अभी कोई पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों या महंगाई की बात करें तो की लोग इसका बचाव करने के लिये उठ खड़े होंगे। इसी का लाभ राजनीतिक दल उठाते है और बड़ी बेशर्मी से जनता की गाढ़ी कमाई पर ऐश करते रहने का साहस करते है। उन्हें पता है कि समय आने पर वे बड़ी आसानी से जनता को बहला लेंगे।