एनएमएल व मेटाओर के बीच हुआ एमओयू
जमशेदपुर, 5 मार्च (रिपोर्टर): सीएसआईआर एनएमएल ने कोलकाता की मेटाओर को ई वेस्ट रिसाइक्लिंग के लिए दो टेक्नोलॉजी को दी. शुक्रवार को एनएमएल व मेटाओर के बीच करार किया गया.
सीएसआईआर एनएमएल पहले भी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ई-कचड़ा निस्पादन के लिए तकनीकी स्थानांतरण कर चुका है. मेटाओर रिसाइङ्क्षक्लग प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता ई-कचड़ा प्रोसेङ्क्षसग कर कीमती व बहुमूल्य धातु कॉपर, एल्युमिनिय, गोल्ड, कोबाल्ट, मैगनीज व लिथियम समेत अन्य सभी पदार्थ का रिसाइक्लिंग करेेगा. ई वेस्ट रिसाइक्लिंग अपने तरह का पहला रिसाइक्लिंग प्लांट है जो पूरी से ई-वेस्ट के लिए बहुमूल्य तोहफा हैं. रिसाइङ्क्षक्लग ज़ीरो वेस्ट कोंसेप्ट पर कार्य करेगा. तकनीकी पर्यावरण अनुकूल हैं व इसके सही निस्पादन से पर्यावरण स्वच्छ होगा, बेरोजगार युवकों को नौकरी मिलेगी व असंगठित इकाई संगठित होकर कचड़ा उठाव व निष्पादन इस प्लान्ट से कर सकेंगे. नगर पालिका इकाई भी इस कंपनी से संपर्क कर कचड़ा निष्पादन कर पाएंगे. मेटाओर रिसाइङ्क्षक्लग कंपनी, कोलकाता खराब बैटरी की रिसाइङ्क्षक्लग व ङ्क्षप्रटेड सर्किट बोर्ड को लेकर टेक्नालजी ट्रांसफर करने का समझौता किया है. इस मौके पर सीएसआईआर के निदेशक डा. इंद्रनील चट्टोराज, रेखा पांडा, डा. अंजनी कुमार साहू, डा. के के साहू, परियोजना प्रमुख डा. मनीष कुमार झा, हेड एमईआर डिविजन डा. संजय कुमार, डा. झुमकी हैत, डा. रंजीत कुमार ङ्क्षसह, शोधार्थी डा. पंकज चौबे, रेखा पांडा, ओम शंकर दिनकर, डा. वीणा कुमारी, डा. जी वी एस मूर्ति आदि मौजूद थे. डा. अंजनी कुमार साहू ने नई टेक्नोलॉजी व प्रौद्योगिकी का ई प्रिंज के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया. मेटाओर रिसाइङ्क्षक्लग कंपनी कोलकाता के निदेशक सौरभ रुंगटा ने जो कि चाईबासा से है, अपने व्यापार को प्रगति करते हुए वर्तमान परिपेक्ष में जहां सीमित प्राकृतिक अयस्क है, ई-वेस्ट रिसाइङ्क्षक्लग की महत्ता को देखते हुए एनएमएल जमशेदपुर के साथ तकनीक हस्तांतरण का करार किया है.
———————-
ई वेस्ट रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी से धातुओं का होगा निष्कर्षण
ई वेस्ट रिसाइक्लिंग टेक्नोलॉजी करार के तहत खराब हो चुकी लिथियम आयन मोबाइल बैटरी व इलेक्ट्रोनिक वेस्ट की रिसाइङ्क्षक्लग कर कॉपर, गोल्ड, कोबाल्ट, लिथियम, मैंगनीज, एल्यूमिनियम आदि का निष्कर्षण किया किया जाएगा.यह व्यापार बहुत ही महत्वपूर्ण है, कारण औद्योगिक ईकाइ बैठाकर आर्थिक आय के अलावा पर्यावरण भी स्वच्छ रखने में सहायक हैं.