रावण दहन असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है : सुनील कुमार महतो
Chandil,5 oct: आज विजया दशमी तिथि में नीमडीह प्रखंड के सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटी आदरडीह, चांडिल प्रखंड के रुगड़ी सार्वजानिक कमिटी समेत चांडिल अनुमंडल के विभिन्न गांवों में विशाल रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आदरडीह में रावण दहन के साथ पश्चिम बंगाल के कारीगरों द्वारा की गयी आतिशबाजी मुख्य आकर्षण थी. रावण दहन की विशेषता के संबंध में सरायकेला खरसावां जिला परिषद उपाध्यक्ष के प्रतिनिधि सह झारखंड आंदोलनकारी सुनील कुमार महतो ने कहा कि दशहरा सनातन धर्म का एक प्रमुख धार्मिक त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से जाना जाता है। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा।
सुनील दा ने कहा कि दशहरे का उत्सव शक्ति और शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव है। नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा की उपासना करके शक्तिशाली बना हुआ मनुष्य विजय प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। इस दृष्टि से दशहरे अर्थात विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव आवश्यक भी है। सुनील कुमार महतो ने कहा कि भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। प्रत्येक व्यक्ति और समाज के रुधिर में वीरता का प्रादुर्भाव हो कारण से ही दशहरे का उत्सव मनाया जाता है। यदि कभी युद्ध अनिवार्य हो तब शत्रु के आक्रमण की प्रतीक्षा न कर उस पर हमला कर उसका पराभव करना ही कुशल राजनीति है। भगवान राम के समय से यह दिन विजय प्रस्थान का प्रतीक निश्चित है। भगवान राम ने रावण से युद्ध हेतु इसी दिन प्रस्थान किया था। मराठा रत्न छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी औरंगजेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का रक्षण किया था। इस पर्व को भगवती के ‘विजया’ नाम पर भी ‘विजयादशमी’ कहते हैं। इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।