पांच साल के बच्चे के पित्त की थैली से निकले 400 से अधिक पत्थर,डा. नागेंद्र सिंह ने कहा- काफी जटिल था आपरेशन , दुलर्भ केस है यह

आपरेशन के दौरान सरसों के आकार के निकले सैकड़ों पत्थर

जमशेदपुर : पांच साल के बच्चे के पित्त की थैली से निकला 400 से अधिक पत्थर। सुनकर आपको विश्वास नहीं होगा लेकिन यह सोलह आने सच है। आपरेशन करने वाले डाक्टर भी देखकर दंग हैं। चूंकि, इस तरह का केस दुर्लभ होता है। मानगो डिमना रोड स्थित गंगा मेमोरियल अस्पताल के सर्जन डा.नागेंद्र सिंह करते हैं कि 35 साल मैं सर्जरी कर रहा हूं लेकिन इस तरह के मामले करीब चार ही देखने को मिला है। इसमें दो केस ऐसे थे जिसकी उम्र मात्र दो साल थी और उसके पित्त की थैली में सैकड़ों पत्थर था। यह मरीज पांच साल का है। बहरागोड़ा निवासी अंकुश श्यान पेट दर्द की शिकायत करता था। इसके बाद बच्चे के माता-पिता बगल के एक डाक्टर दिखाकर दवा ले लेते थे। इस दौरान आराम मिल जाता था लेकिन दूसरे-तीसरे दिन फिर से दर्द शुरू हो जाता था। करीब एक साल
तक यह प्रक्रिया चला। अंत में जब दर्द असहनीय होने लगा तो उसे गंगा मेमोरियल अस्पताल लाया गया। यहां पर जांच हुई तो पता चला कि बच्चे के पेट में पत्थर है, जिसे सुनकर किसी को भरोसा नहीं हो रहा था। मरीज के स्वजन यही सोच रहे थे कि इतने कम उम्र में पत्थर कैसे हो सकता है। यहां तक की डाक्टर भी हैरान थे।
हालांकि, आपरेशन के बाद और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं। बच्चे के पित्त की थैली से एक-दो नहीं बल्कि 400 से अधिक पत्थर निकला। आपरेशन करने वाले
डा. नागेंद्र सिंह का कहना है कि बच्चों में पत्थर होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। अभी तक अज्ञात है लेकिन ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान मां का
खान-पान सही नहीं होना, बार-बार इंफेक्शन होना, तनाव ज्यादा लेना और गर्भनिरोधक गोलियां का उपयोग करना इसका मुख्य वजह हो सकता है। पथरी होने का
सामान्य उम्र 20 से 40 के बीच होता है।
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काफी जटिल था आपरेशन
डा. नागेंद्र सिंह ने कहा कि बच्चे का दूरबीन पद्धति से आपरेशन हुआ है जो काफी जटिल था। आपरेशन के दौरान सबसे पहले मरीज के पेट के अंदर गैस प्रवाहित किया जाता है। तब आपरेशन संभव हो पाता है। इस दौरान विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है। ज्यादा देर तक पेट के अंदर गैस रहने से फेफड़ा पर असर
करता है।
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