पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर, 2024) को निधन हो गया. उन्हें सांस लेने में दिक्कत आने के बाद रात करीब 8 बजे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया था.
2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह इस साल की शुरूआत में राज्यसभा से रिटायर हुए और 33 सालों के बाद उच्च सदन में उनकी राजनीतिक पारी खत्म हुई. भारत के एकमात्र सिख प्रधानमंत्री ने जून 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के रूप में शपथ लेने के चार महीने बाद 1991 में राज्यसभा पहुंचे थे.
उन्होंने उच्च सदन में पांच कार्यकालों तक असम का प्रतिनिधित्व किया और 2019 में राजस्थान चले गए. संसद में उनका आखिरी भाषण विमुद्रीकरण के खिलाफ था, जिसमें उन्होंने इसे “संगठित लूट और वैधानिक लूट” बताया था. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मनमोहन सिंह ने 2021 में एक कार्यक्रम में कहा, “बेरोजगारी अधिक है और अनौपचारिक क्षेत्र खस्ताहाल है, यह संकट 2016 में लिए गए बिना सोचे-समझे लिए गए नोटबंदी के फैसले से पैदा हुआ है.”
26 सितम्बर 1932 को पंजाब में जन्मे मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की. डॉ. मनमोहन सिंह ने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स ट्राइपोज पूरा किया. इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल. की डिग्री ली.
पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में टीचिंग के बाद, वो 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए. डॉ. मनमोहन सिंह को 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर प्रमोट किया गया.
यूएनसीटीएडी सचिवालय में थोड़े समय के कार्यकाल के बाद उन्हें 1987-1990 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग का महासचिव नियुक्त किया गया. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद भी संभाले.
‘आर्थिक नीति पर छोड़ी मजबूत छाप’, मनमोहन सिंह को याद कर बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने कहा, “भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त करता है. साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने. उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी मजबूत छाप छोड़ी. संसद में उनके हस्तक्षेप भी व्यावहारिक थे. हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए.”
मनमोहन सिंह के निधन पर उनके भतीजे ने क्या कहा? जानें
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर उनके भतीजे मनबीर सिंह ने कहा, “हमें एक घंटे पहले मीडिया के माध्यम से पता चला कि उनका निधन हो गया है, यह देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है. पिछली बार हमने उनसे लगभग दो-तीन महीने पहले दिल्ली में मुलाकात के दौरान बात की थी.”
राजकीय सम्मान के साथ होगा मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कल होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द रहेंगे. 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाएगा. कल सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक होगी. डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
‘भारत ने एक महान सपूत खो दिया’, बोले उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ. मुझे उनसे बातचीत करने और उनसे सीखने के कई अवसर मिले. वह वास्तव में एक बौद्धिक दिग्गज थे, एक कुशल अर्थशास्त्री थे, लेकिन सबसे बढ़कर वह एक सज्जन व्यक्ति थे, जो बौनों के बीच एक दिग्गज थे. उनके निधन से भारत ने एक महान सपूत खो दिया है. शांति से आराम करें सर और हर चीज के लिए धन्यवाद.”
‘बेहद ही विनम्र और सज्जन व्यक्ति थे’, महबूबा मुफ्ती ने मनमोहन सिंह को किया याद
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, “मुझे डॉ. मनमोहन सिंह से मिलने का सौभाग्य मिला और मुझे यकीन है कि वह उन सबसे विनम्र और सज्जन लोगों में से एक थे जिनसे मैं मिली हूं – आज के राजनेताओं में यह एक अत्यंत दुर्लभ गुण है. उनकी विनम्रता और दयालुता प्रधानमंत्री के रूप में उनके दोहरे कार्यकाल के दौरान भी स्पष्ट थी जब वह व्यक्तिगत रूप से कॉल का जवाब देते थे. चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, डॉ. सिंह ने शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और जम्मू और कश्मीर में विकास के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए अथक प्रयास किया. वह कम बोलने वाले व्यक्ति थे जिनकी कल्याणकारी योजनाओं ने जाति, पंथ और धर्म से परे लाखों भारतीयों को राहत पहुंचाई.”