कोर्ट ने कहा- सरकार के जख्मी गुरूर पर मरहम लगाने के लिए देशद्रोह के मुकदमे नहीं थोपे जा सकते: दिशा रवि को जमानत

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नई दिल्ली
22 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि को गिरफ्तारी के 9 दिन बाद सशर्त जमानत मिल गई। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को उनकी रिहाई के आदेश जारी किए। कोर्ट ने कहा, ‘‘वॉट्सऐप ग्रुप बनाना या किसी टूलकिट को एडिट करना कोई अपराध नहीं है।’’ बेंगलुरु की रहने वाली दिशा पर किसान आंदोलन से जुड़ी वह टूलकिट बनाने और एडिट करने का आरोप है, जिसे क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर किया था। इस विवादास्पद टूलकिट में 26 जनवरी और उससे पहले डिजिटल स्ट्राइक का जिक्र था।
सरकार को फटकार लगाती कोर्ट की 7 टिप्पणियां
सरकार के जख्मी गुरूर पर मरहम लगाने के लिए देशद्रोह के मुकदमे नहीं थोपे जा सकते।
देश के नागरिक सरकार पर सजग तरीके से नजर रखते हैं। उन्हें सिर्फ इसलिए जेल में नहीं डाला जा सकता क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमति रखते हैं।
सरकार की नीतियों को भेदभाव रहित बनाने के लिए मतभेद, असहमति या विरोध करना जायज तरीकों में शामिल है।
हमारी 5 हजार साल पुरानी सभ्यता अलग-अलग विचाराें की कभी भी विरोधी नहीं रही।
ऋग्वेद में भी अलग-अलग विचारों का सम्मान करने के हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का जिक्र है।
ऋग्वेद का एक श्लोक कहता है- आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरितासउद्भिदः। यानी हमारे पास चारों ओर से ऐसे कल्याणकारी विचार आते रहें, जो किसी से न दबें, उन्हें कहीं से रोका ना जा सके और जो अज्ञात विषयों को प्रकट करने वाले हों।
संविधान के अनुच्छेद 19 में भी विरोध करने के अधिकार के बारे में पुरजोर तरीके से कहा गया है।

दिशा और जांच के बारे में कोर्ट की 5 टिप्पणियां

दिशा 5 दिन से पुलिस हिरासत में हैं। सामान्य तरह के आरोपों के आधार पर उनकी स्वतंत्रता में खलल पैदा करना जायज या वाजिब नहीं होगा। इसलिए जमानत का विरोध दिखावा ज्यादा लगता है।
रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं मिला, जो बताता हो कि दिशा किसी अलगाववादी विचारधारा से जुड़ी थीं। दिशा का अपनी पहचान छुपाने की कोशिश करना भी बेवजह के विवादों से खुद को दूर रखने का एक तरीका था।
प्रॉसिक्यूशन यह भी साबित करने में नाकाम रहा कि ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट फॉरवर्ड करने के अलावा दिशा ने किस तरह दुनियाभर के लोगों को अलगाववादी तत्वों से जोड़ा।
अब तक मिले छोटे और अधूरे सबूतों के मद्देनजर 22 साल की एक लड़की को जमानत देने के सामान्य से नियम से अलग जाकर जेल भेजने का कोई साफ कारण नजर नहीं आता क्योंकि इस लड़की का पिछला रिकॉर्ड पूरी तरह से अपराध रहित रहा है और समाज में उसकी गहरी जड़ें हैं।
वॉट्सऐप ग्रुप बनाना या किसी टूलकिट को एडिट करना अपराध नहीं है। चूंकि कथित टूलकिट या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के बीच का रिश्ता आपत्तिजनक नहीं है, इसलिए वॉट्सऐप चैट को डिलीट कर देने की बात भी निरर्थक है।

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