भोले बाबा के खिलाफ सीधी कार्रवाई मुश्किल , FIR में नाम नहीं, पिछड़ी बिरादरियों में प्रभाव… जानें- क्यों आसान नहीं है बाबा के खिलाफ एक्शन

हाथरस में सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत के बावजूद बाबा के खिलाफ सीधी कार्रवाई मुश्किल दिख रही है. इसकी वजह साफ है कि भोले बाबा इस मामले में कोई नामज़द FIR नहीं हुई है. FIR में नाम न होने के साथ ही इस घटना के जिम्मेदार लोगों में भी मुख्य आरोपी के तौर पर बाबा का नाम न होने से नारायण साकार हरि के खिलाफ मामला कमजोर होता दिख रहा है. इतना ही नहीं, पुलिस बाबा के खिलाफ कोई पुराना मामला भी नहीं ढूंढ पाई है.
नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के कार्यक्रम में मची भगदड़ से हुई सवा सौ मौतों के बाद भी नारायण साकार का नाम कोई राजनीतिक दल खुलकर नहीं ले रहा है। मामले में जिस तरीके से एफआईआर दर्ज हुई और धरपकड़ जारी हुई, उसमें भी नारायण साकार और भोले बाबा का कोई जिक्र नहीं है। दरअसल जानकारों का कहना है कि नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के मामले में सियासी दलों के खुलकर न बोलने के पीछे ‘दलितों की पॉलिटिक्स’ और पिछड़ों से लेकर अतिपिछड़ों के वोटों का मामला सामने आ रहा है। कहा यही जा रहा है कि बाबा के भक्तों में सबसे ज्यादा संख्या दलितों समेत पिछड़ों और अति पिछड़ों की है। यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक दल खुलकर बाबा को निशाने पर नहीं ले रहा है।
पुलिस के शीर्षस्थ सूत्रों के मुताबिक भोले बाबा पर जितने पुराने केस मीडिया में बताए जा रहे हैं, दरअसल उसमें से एक भी मामला सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि पर दर्ज नहीं है. सिर्फ साल 2000 में बाबा के ऊपर एक मृत लड़की को जिंदा करने की कोशिशों के लिए 2 दिन तक उसकी लाश रखने और उस पर झाड़ फूंककर जिंदा करने की कोशिश का एक आरोप था, जिसमें बाबा को जेल भी हुई थी, लेकिन वह केस अब खत्म हो चुका है. इस केस में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है. इसके अलावा नारायण साकार हरि पर अभी तक पुलिस को दूसरा कोई केस हाथ नहीं लगा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जब नारायण साकार हरि पर कार्रवाई के बाबत सवाल पूछा गया तो मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली FIR के बाद अगर जांच में कुछ भी आगे आएगा, तो उसे FIR में शामिल किया जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बाबा नारायण साकार हरि पर कार्रवाई को लेकर कुछ नहीं कहा.

FIR में सिर्फ सेवादारों का नाम

अलीगढ़ रेंज के आईजी शलभ माथुर ने भी मीडिया से बातचीत में बताया कि प्रथम दृष्टया सेवादारों की भूमिका सामने आ रही है, इसलिए FIR में सिर्फ सेवादारों का नाम है.राहुल गांधी से लेकर जितने भी बड़े नेता हैं, किसी ने भी बाबा के खिलाफ कार्रवाई की मांग नहीं की है. ना ही उनकी गिरफ्तारी का कोई दबाव सरकार के ऊपर बना हुआ है, ऐसे में सभी कार्रवाई बाबा के सेवादारों की तरफ होती दिखाई दे रही है और उसमें भी पकड़े गए सेवादार ज्यादातर एक जाति विशेष के हैं

हादसे के बाद बाबा अंडरग्राउंड

बाबा बेशक इस वक्त अंडरग्राउंड हो, बाबा की लोकेशन लोगों को ना मिल रही हो, लेकिन बाबा के खिलाफ कोई सीधी कार्रवाई होती दिखाई भी नहीं दे रही है. जिन 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वो सब बाबा के सेवादार हैं. लेकिन नारायण साकार हरि पर कोई आरोप या मामला अभी तक दर्ज नहीं हुआ है.

नारायण साकार हरि के भक्त इस बिरादरी के

सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि के भक्त और समर्थक सबसे ज्यादा तादाद में जाटव और दलित बिरादरी में हैं. विधायक, सांसद, मंत्री और अधिकारी से लेकर सेना-पैरा मिलिट्री के जवान तक बाबा के भक्तों में शुमार हैं, जाटव जो कि दलित बिरादरी की सबसे बड़ी जाति है, वह बाबा के सबसे बड़े भक्तों में से एक हैं, सियासतदां उनके मंच की शोभा बढ़ाते रहे हैं और बिरादरी पर पकड़ के लिहाज से बाबा का प्रभाव बहुत ज्यादा माना जाता है.

क्या इस वजह से एक्शन से डर रही है सरकार?

सरकार को इस बात का भी डर है कि उनके खिलाफ कार्रवाई से कहीं दलितों में गुस्सा और रोष न फैल जाए. नारायण साकार हरि के हर महीने के पहले मंगलवार को होने वाले विशाल सत्संग में लाखों लोगों की भीड़ जुटती है और इसमें 90 फ़ीसदी से ज्यादा दलित और अति पिछड़ी बिरादरियां होती हैं. आगरा में जिन 17 लोगों की मौत हुई है. उसमें से अकेले 14 महिलाएं जाटव बिरादरी की हैं. जबकि तीन मल्लाह बिरादरी की. बाबा के भक्त और एक पूर्व आईपीएस ने नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कहा कि जिस तरीके का बाबा का प्रभाव है, इसने दलितों में धर्मांतरण को भी रोका है. यानी वो दलित जो बहुत तेजी से बौद्ध या ईसाइयत की तरफ झुक रहे थे, इन इलाकों में बाबा नारायण साकार हरि के सत्संग और प्रभाव की वजह से यह रुका है. ऐसे में कोई भी सरकार और राजनीतिक दल कार्रवाई करने के पहले कई बार सोचेगी.

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