भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम
मुंबई।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) डिजिटल रुपये के खुदरा इस्तेमाल से संबंधित पहला पायलट परीक्षण एक दिसंबर को करेगा जिसमें सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के चार बैंक शामिल होंगे। आरबीआई ने मंगलवार को जारी बयान में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के खुदरा उपयोग संबंधी पायलट परीक्षण की घोषणा की।
भारत का डिजिटलीकरण साल 2014 में जब मोदी सरकार आयी थी तब से बड़े स्तर पर शुरू हुआ। जनधन योजना के अंतरगर्त लोगों के बैंक खाते खोल कर सरकार जनता को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर करने लगी। इसके बाद यूपीआई और रूपे कार्ड ने पैसे ट्रांसफर करना चुटकियों का खेल बना दिया। साथ ही केशलेश भारत की और जनता बढ़ने लगी। लोगों ने अपने बटुए में कैश रखना कम कर दिया और एटीएम का प्रयोग भी सीमित हो गया ऐसे में अमेरिका के मास्टर और वीजा कार्ट को भारत के बाजार में तगड़ा झटका लगा है। भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में लगातार अपने कदम आगे बढ़ा रहा हैं। इसी कड़ी में एक कदम और उठाया जा रहा हैं। लंबे समय से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल रुपया लेकर आने की बात कर रहा था। इसे लेकर पॉलिजी बनाई जा रही थी। अब डिजिटल रुपया आखिरकार एक वास्तविकता बन रहा है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे लॉन्च करने की घोषणा की है। आरबीआई का कहना है कि ई-रुपया एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा जो कानूनी निविदा का प्रतिनिधित्व करेगा। इसे पहले पायलट आधार पर लॉन्च किया जाएगा। हालाँकि, यह अभी नियमित उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध नहीं होगा। पायलट बंद उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) में चुनिंदा स्थानों पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें ग्राहक और व्यापारी दोनों शामिल हैं। अगर यह व्यवस्था कारगर रही तो नोटो कों छापने वाला पैसा जनता के लिए बनाई जा रही अन्य योजनाओं नें लगाया जाएगा।