सुप्रीम कोर्ट के पैनल की रिपोर्ट में खुलासा:दिल्ली सरकार ने जरूरत से 4 गुना ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड की,इससे 12 राज्यों की आपूर्ति पर पड़ा असर


; ‌BJP बोली- शर्म है तो देश से माफी मांगें केजरीवा
सुप्रीम कोर्ट के पैनल में अपनी रिपोर्ट में कहा है दिल्ली में ऑक्सीजन की ज्यादा डिमांड का असर 12 राज्यों पर पड़ा।

कोरोना की दूसरी लहर के बीच केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर खड़ा हुआ विवाद अब दूसरे रूप में सामने आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली सरकार ने कोरोना संकट के पीक पर जरूरत से 4 गुना ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड की। इससे 12 राज्यों की सप्लाई पर असर पड़ा।

दिल्ली सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के समय केंद्र से 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड की थी। रिपोर्ट के मुताबिक ये दिल्ली की जरूरत से 4 गुना ज्यादा है। दिल्ली में उस समय जितने ऑक्सीजन बेड थे, उसके हिसाब से दिल्ली को 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ही जरूरत थी।

पैनल की रिपोर्ट सामने आने के बाद बीजेपी ने केजरीवाल पर निशाना साधा है। दिल्ली से बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने कहा है कि केजरीवाल में शर्म बची हो तो उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।

अस्पतालों ने भी डिमांड ज्यादा बताई
रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य तौर पर दिल्ली में 284 से लेकर 372 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन ज्यादा सप्लाई की डिमांड करने के कारण दूसरे राज्यों पर इसका असर पड़ा। पैनल दिल्ली के 4 अस्पतालों के प्रबंधन से भी इस बारे में पूछताछ कर रहा है। इन अस्पतालों में बेड के हिसाब से ज्यादा ऑक्सीजन की खपत हुई है। इसमें सिंघल अस्पताल, अरुणा आसिफ अली अस्पताल, ईएसआईसी मॉडल अस्पताल और लिफेरे अस्पताल शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन अस्पतालों ने गलत डेटा दिया और दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी 12 लोगों की कमेटी
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मई महीने में दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत सामने आई थी। दिल्ली सरकार और कुछ प्राइवेट अस्पतालों ने इस पर सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था और ऑक्सीजन सप्लाई तुरंत बढ़ाने की मांग की थी। तब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने 12 लोगों की टास्क फोर्स बनाई थी। कोर्ट ने कमेटी ऑक्सीजन की सप्लाई और डिमांड पर ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी। कमेटी में देश के 10 मशहूर डॉक्टरों के अलावा 2 सरकारी अधिकारी शामिल हैं। कोर्ट ने कमेटी को रिपोर्ट सौंपने के लिए 6 महीने का समय दिया था।

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