दीपावली के समय विभिन्न संगठनों द्वारा तैयार की जानेवाली मिठाइयों की गुणवत्ता की भी क्या जांच करेगा फूड विभाग

जमशेदपुर : एक ओर जहां फूड विभाग की टीम विभिन्न मिष्टान्न दुकानों में जाकर तैयार मिष्टान्न की गुणवत्ता की नियमित जांच कर रही है, वहीं दीपावली के अवसर पर उसके सामने एक नई चुनौती सामने आनेवाली है. देखा जाता है कि दीपावली के समय विभिन्न धर्मशालाओं, संगठनों आदि के द्वारा सस्ती दरों में मिठाई तैयार कर उसकी बिक्री की जाती है. जो मिठाई बाजार में 800 रु. कीमत की होती है, वे 600 रु. के दर से बेचा जाता है. ये मिठाई निर्माता 10-15 दिनों के लिये यह काम करते हैं. इन्हें न जीएसटी देना होता है और न ही मिठाई निर्माण के मापदंडों का पालन होता है. उनको न साल भर लेबर पेमेंट करना होता है न मकान,दुकान का भाड़ा देना होता है। मापतौल विभाग, जीएसटी, ट्रेड लाइसेंस का भी चक्कर नही होता।फूड विभाग की टीम भी उनके यहां जांच करने नहीं पहुंचती.
जमशेदपुर के मिष्टान्न दुकानदारों का कहना है कि ये चूंकि गुणवत्ता का पालन नहीं करते, इसलिये सस्ती दरों पर मिठाइयां बेचकर थोड़े से समय में ही बड़ा मुनाफा कमा लेते हैं. चूंकि इनका काम थोड़े समय का होता है और मिठाई खरीदनेवाले वापस किसी तरह की शिकायत करने इनके पास नहीं आता, इस वजह से ये गुणवत्ता का ख्याल न कर मोटी कमाई कर लेते हैं. जबकि होटल एवं मिठाई निर्माण करनेवाले दुकान तमाम मापदंडों का पालन करते हैं. उनके पास ट्रेड लाइसेंस होता है, जीएसटी के जरिये सरकार को राजस्व भी देते हैं. फूड विभाग द्वारा समय-समय पर उनके यहां निरीक्षण भी किया जाता है. जमशेदपुर के नमकीन एवं मिष्टान्न निर्माता जिला प्रशासन से यह उम्मीद कर रहे हैं कि वह ऐसी बातों पर जरुर ख्याल रखेगा. उनका कहना है कि वे सालभर कारोबार करते हैं और पर्व त्यौहार के समय उनके अच्छे व्यवसाय की उम्मीद रहती है लेकिन ऐसे संगठनों के कारण उनकी कमाई भी मार दी जाती है. लोगों के सेहत को लेकर जो खतरा रहता है, वह अलग. इस संबंध में मध्यप्रदेश के इंदौर में मिठाई एवं नमकीन एसोसिएशन की ओर से जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर ऐसे मिठाई निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई. जिला प्रशासन की ओर से टीम गठित कर छापामारी भी शुरु कर दी गई है.

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