गुमला,fifa अंडर-17 वुमन वर्ल्ड कप में आज से शुरू हो रहा है। भारत की कप्तानी कर रही हैं झारखंड के गुमला की अष्टम उरांव।
गुमला जिले के आदिवासी बहुल बिशुनपुर के गोर्रा टोली गांव अब अपनी अष्टम को खेलता देख सकेगा। उपायुक्त सुशांत गौरव ने अष्टम के घर में टीवी और इन्वर्टर भेजा है। साथ में कुर्सियां भी भेजी है ताकि परिवार वाले आराम से बैठकर बेटी को खेलता देख सकें।
अष्टम के घर पहुंचा टीवी
उपायुक्त ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी और लिखा, सब तैयार है, मैच के लिए अष्टम और, दर्शकों के लिए उनके परिवार और ग्रामीण (टीवी और इन्वर्टर प्रदान किया गया)। इसके साथ तस्वीर साझा की गयी । टीवी अष्टम की मां तारा देवी ले रही हैं, टीवी लेते वक्त बेटी को देखने की खुशी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही है।
गुमला उपायुक्त के निर्देश पर जिला खेल पदाधिकारी हेमलता बुन ने मंगलवार को अष्टम उरांव के घर 43 इंच का टीवी एक इनवर्टर व बिशुनपुर थाना प्रभारी सदानंद सिंह के द्वारा टेबल कुर्सी अष्टम के घर में लगवा दिया है।ताकि उनके मां-बाप के साथ पूरे गांव वाले अष्टम का मैच देख सके।
अष्टम के नाम से खेल का मैदान
गोर्रा टोली में खेल मैदान बनाने की घोषणा की। अष्टम उरांव के नाम से ही गांव में खेल मैदान बनेगा। सरकारी योजनाओं से गांव और गांव वालों को जोड़ने का ऐलान किया गया है। गांव की खराब सड़क पीसीसी व पेवर ब्लॉक से तैयार हो रही है। अष्टम की वजह से गांव में कई विकास के काम में तेजी आयी है। पूर्व में बने चेकडैम में जहां पानी नहीं है, उसे मनरेगा से खुदवाने का निर्देश दिया गया है ।
अष्टम के सम्मान में उनके घर तक झारखंड सरकार की ओर से बनवाई जा रही है सड़क बनाने के काम में उनके माता-पिता मजदूरी कर रहे हैं। दिनभर की मजदूरी के बदले दोनों को 250-250 रुपए मिल रहे हैं।अष्टम गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड की बनारीगोरा टोली गांव की रहने वाली हैं।
उनके गांव में उनके घर तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है। ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से सड़क बनावाई जा रही है। गुमला के उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि उनकी जानकारी में नहीं है कि उस सड़क पर अष्टम के माता-पिता मजदूरी कर रहे हैं। यह सड़क अष्टम के घर तक जाने के लिए बनाई जा रही है।
पिता बोले- मजदूरी नहीं करेंगे, तो परिवार का पेट कैसे भरेगा
इधर, अष्टम के पिता हीरा उरांव ने बताया कि मजदूरी नहीं करेंगे, तो परिवार का पेट कैसे भरेगा। वहीं, मां तारा देवी ने कहा कि बेटी भारत की कप्तान बन गई है। बहुत खुशी है। अष्टम शुरू से ही जुझारू है। वह जिस काम को ठान लेती है। उसे पूरे मन के साथ करती है। हमने बेटी को पानी भात और बोथा साग खिलाकर बड़ा किया है। जब नौकरी करने लगेगी तो काम छोड़ देंगे। अष्टम का गांव गुमला शहर से 56 किलोमीटर की दूरी पर है। उसके माता-पिता का घर मिट्टी का है।
गांव को रोजगार से जोड़ने की कोशिश
इस इलाके में गांव वाले लोग जंगल जाकर महुआ चुनते हैं । उपायकुक्त ने कहा, हुआ यहां से बाहर ना जाए और ना लोग उसका शराब बनाएं। उस महुए का लड्डू बनाकर बेचने का काम महिला समूह के माध्यम से कराया जाएगा । इससे लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो जाएगा और उसका दुरुपयोग नहीं होगा। इसके लिए जो मशीन की आवश्यकता पड़ेगी उसे मुहैया कराया जाएगा।
गांव और परिवार की हर संभव मदद का वादा
उपायुक्त ने परिवार को भरोसा दिया है कि वह हर संभव मदद करेंगे गांव में चबूतरा निर्माण, वृक्षारोपण, चापाकल के सामने सोक पिट निर्माण, सोलर लाइट लगाने का आदेश प्रखंड विकास अधिकारी को दिया गया है ताकि अष्टम उरांव का गांव गोर्रा टोली का विकास हो सके।