, पूर्व CJI बालाकृष्णन करेंगे अगुआई
दूसरे धर्मों में कन्वर्ट हुए दलित लोगों को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा देने पर केंद्र ने विचार किया है। इसके लिए पूर्व CJI बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक पैनल बना है, जो ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों की स्थिति पर स्टडी करेगा और इसकी रिपोर्ट सरकार को सैंपेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पैनल में तीन या चार सदस्य हो सकते हैं। यह आयोग ईसाई या इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों की सोशल, फाइनेंशियल और एजुकेशनल कंडीशन के अलावा, मौजूदा स्थिति में SC की लिस्ट में और लोगों को जोड़े जाने का क्या असर होगा और कन्वर्ट हुए लोगों की संख्या कितनी है, इसका पता भी लगाएगा।
इस आयोग का गठन उन दलितों के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित कई याचिकाओं के मद्देनजर महत्व रखता है, जिनमें ईसाई या इस्लाम में परिवर्तित होने वाले दलितों के लिए एससी रिसर्वेशन की मांग की गई है। इस मामले में 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि वह याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए मुद्दे पर सरकार के रुख को रिकॉर्ड में रखेंगे। बेंच ने सॉलिसिटर जनरल को तीन हफ्ते का समय दिया। अब इस मामले में 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
क्या कहता है संविधान आदेश, 1950
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950, अनुच्छेद 341 के तहत यह निर्धारित करता है कि हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग धर्म को मानने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता है। मूल आदेश जिसके तहत केवल हिंदुओं को एससी के रूप में क्लासिफाइड किया गया था, इसे 1956 में इसमें सिखों और 1990 में बौद्धों को शामिल करने के लिए संशोधित किया गया था।
पूर्व सरकारों के सामने भी उठी रिजर्वेशन की मांग
एससी कम्यूनिटी के लिए मिलने वाली सुविधाओं में केंद्र सरकार की नौकरियों में सीधी भर्ती के लिए 15% आरक्षण, एसटी के लिए 7.5 % और ओबीसी के लिए 27% कोटा है। ईसाई या इस्लाम में कन्वर्ट होने वाले दलितों के लिए एससी रिजर्वेशन का सवाल पहले की सरकारों के सामने भी आया है।
डॉ. मनमोहन सिंह ने बनाया आयोग
2004 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण की सिफारिश की थी। इसके लिए पूर्व CJI रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया था।
2007 में रंगनाथ मिश्रा आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिफारिश की गई कि अनुसूचित जाति का दर्जा पूरी तरह से धर्म से अलग कर दिया जाए और एसटी की तरह रिलिजन न्यूट्रल बनाया जाए। यूपीए सरकार ने इस सिफारिश को यह कहकर खारिज कर दिया था कि इसकी फील्ड स्टडी के आधार पर पुष्टि नहीं हुई है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट की गई खारिज
वहीं, 2007 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की ओर से किए गए एक अध्ययन में पता चला कि दलित ईसाइयों और दलित मुसलमानों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की जरूरत है। उस रिसर्च को भी यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि यह लिमिटिड एरिया में की गई स्टडी है।